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________________ सत्यमेव जयते तुम इसकी जरा जांच करना, तुम्हें मेरी बात की सचाई तब खयाल में आएगी कि जब भी तुम झूठ बोलते हो तब तुम दुख में पड़ जाते हो। जब भी तुम सच बोलते हो, तभी तुम मुक्त हो जाते हो, खुल जाते हो, निर्बंध हो जाते हो। जब तुम सच बोलते हो, निर्भार हो जाते हो। कोई भार नहीं रह जाता। जब तुम झूठ बोलते हो, छाती पर पत्थर रख जाता है। झूठ चाहे छोटा ही हो, पत्थर बहुत बड़ा होता है। झूठ चाहे दो कौड़ी का हो, जिसका कोई बड़ा मूल्य भी नहीं है, न बोलते तो भी चल जाता, न बोलते तो भी कुछ बहुत खो जाने वाला नहीं था, लेकिन झूठ बोलते ही सिकुड़ जाते हो। झूठ सिकोड़ता है, झूठ तुम्हारे हृदय को दबाता है, झूठ तुम्हें बंद करता है। झूठ तुम्हारे भीतर हजार तरह के रोग पैदा करता है। पश्चिम में अदालतों में रखी रहती है एक मशीन, आदमी के झूठ पकड़ने के लिए। वह मशीन सबूत है इस बात की। आदमी को खड़ा कर देते हैं मशीन पर। उसे तो पता भी नहीं कि मशीन पर खड़ा है, मशीन तो छिपी होती है नीचे। खड़ा कर दिया उसको एक चबूतरे पर, चबूतरे के भीतर छिपी है मशीन। मजिस्ट्रेट उससे पहले कुछ प्रश्न पूछता है, ऐसे प्रश्न जिनमें वह झूठ बोल ही नहीं सकता। जैसे कहता है, देखो यह घड़ी है, इसमें कितने बजे हैं? अब सामने घड़ी लटकी है, झूठ कैसे बोलोगे? और झूठ बोलने की जरूरत भी क्या? तुम कहते हो कि साढ़े नौ बजे हैं। तुम सच बोल रहे हो तो तुम्हारा हृदय एक तरह से धड़कता है। वह जो नीचे रखी मशीन है, जैसा कार्डियोग्राम में ग्राफ बनता है, ऐसे उस मशीन में ग्राफ बनता है; वह तुम्हारे हृदय की धड़कन, तुम्हारे शरीर की धड़कन का ग्राफ बनाती है। फिर तुमसे पूछता है कि यहां कमरे में कितने लोग हैं ? तुम गिनती करके कहते हो कि बीस लोग हैं। झूठ बोलने का कोई कारण नहीं है। मशीन ग्राफ बनाए चली जाती है। एक समतल ग्राफ बनता है। तब वह पूछता है, क्या तुमने हत्या की? तुम्हारे भीतर तो उठता है कि हां, क्योंकि तुमने की है, ऊपर से तुम कहते हो, नहीं। तुम्हारे ग्राफ में अड़चन आ जाती है, तुम्हारे नीचे जो ग्राफ बन रहा है उसमें गांठ पड़ जाती है। तत्क्षण गांठ पड़ जाती है। एक क्षण के लिए हृदय धक्क से रह जाता है। कुछ कहना चाहते थे और कुछ कहा। वह जो गैप है, वह जो दोनों के बीच में अंतराल है, वह मशीन पकड़ लेती है। यह तो छोटा सा प्रयोग है। लेकिन जो आदमी जिंदगीभर झूठ बोल रहा है, उसके हृदय में ही वह गांठ पड़ जाएगी। फिर तो वह सच भी बोलना चाहेगा तो न बोल सकेगा। गांठ मजबूत हो जाएगी। तुमने देखा, कि लोग चालीस साल की उम्र के करीब आते-आते झंझटों में पड़ना शुरू होते हैं। इतने दिन तक गांठ बनती है, फिर हृदय का दौरा पड़ता, हार्ट अटैक होता, कि कैंसर हो जाता, कि टी.बी. हो जाती। अक्सर ये बीमारियां चालीस और बयालीस साल के बाद होती हैं। इतनी देर तक तुम्हारा शरीर किसी तरह झेल 211
SR No.002387
Book TitleDhammapada 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages362
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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