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________________ एस धम्मो सनंतनो तुम पर। चंडीदास का प्रसिद्ध वचन है- साबार ऊपर मानुस सत्य ताहार ऊपर नाहीं । मनुष्य का सत्य सबसे ऊपर है, उसके ऊपर और कोई सत्य नहीं । यह वचन निश्चित ही बुद्ध से प्रभावित है । बुद्ध ने यह पहली दफा कहाः साबार ऊपर मानुस सत्य। सबसे ऊपर मनुष्य का सत्य है । मनुष्य को परम प्रतिष्ठा दी। और कहा : मनुष्य को कहीं झुकने की जरूरत नहीं है, जगने की जरूरत है। मनुष्य को किसी को मानने की जरूरत नहीं है, बस अपने को ही जानने की जरूरत है। जो मनुष्य अपने को जान लेता है, वही भगवत्ता को उपलब्ध हो जाता है । बुद्ध ने भगवान की बड़ी नयी व्याख्या की । बुद्ध ने नहीं कहा कि भगवान वह है जो दुनिया बनाता है। दुनिया तो बुद्ध ने कहा किसी ने न बनायी, न कोई बनाने वाला है । बुद्ध ने भगवान को नया अर्थ दिया। बुद्ध ने कहा, भगवान का अर्थ है भाग्यशाली। वह भाग्यशाली जिसने स्वयं को जान लिया, वही भगवान है। मनुष्य ही जागकर भगवान हो जाता है। आत्मा ही जाग्रत होकर, दीप्तमय होकर परमात्मा हो जाती है। तुम्हारे भीतर बीज छिपा है परमात्मा का - बीज है आत्मा - अभी तुम सोए हो इसलिए बीज टूटता नहीं, जाग जाओ तो बीज टूट जाए। जागने का सूत्र दिया ध्यान । 1 इसलिए बुद्ध ने प्रार्थना की बात ही नहीं की । बुद्ध ने पूजा की बात ही नहीं की बुद्ध ने तो सिर्फ एक सीधा सा सूत्र दिया ध्यान। ध्यान का अर्थ है - नींद को तोड़ो, सपने को तोड़ो और जागो। जैसे-जैसे जागने लगोगे, वैसे-वैसे परमात्म-भाव तुम्हारा पैदा होने लगेगा। जिस दिन तुम पूरे जाग गए, उस दिन तुम परमात्मा हो गए। मनुष्य को ऐसी महिमा किसी ने भी न दी थी। साबार ऊपर मानुस सत्य ताहार ऊपर नाहीं । इस सबसे स्वभावतः दकियानूस, रूढ़िवादी, धर्म के नाम पर भांति-भांति का शोषण करने वाले लोग बहुत पीड़ित हो गए थे। उन्हें कुछ सूझता भी न था, कैसे इस गौतम से विवाद करें। विवाद वे करने में समर्थ भी नहीं थे। गौतम कोई पंडित होते तो विवाद आसान हो जाता। गौतम के सामने आकर उन पंडितों के विवाद और तर्क बड़े छोटे और ओछे मालूम होने लगते थे । उनमें कोई बल न था । वे तर्क नपुंसक थे। तो पीछे से ही छुरा मारा जा सकता था । उपाय उन्होंने यह खोजा— T एक सुंदरी परिव्राजिका को विशाल धनराशि का लोभ देकर राजी कर लिया कि बुद्ध की अकीर्ति फैलाए । अब यह सुंदरी परिव्राजिका बुद्ध की शिष्या थी । शिष्य होकर भी कोई इतना दूर हो सकता है, इसे याद रखना । शिष्य होकर भी कोई अपने गुरु को बेच सकता है, इसे याद रखना। क्राइस्ट को भी जिसने बेचा - जुदास - वह क्राइस्ट का शिष्य था। बारह शिष्यों में एक । और बेचा बड़े सस्ते में - तीस रुपये में। तीस चांदी के टुकड़ों में। 206
SR No.002387
Book TitleDhammapada 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages362
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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