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सत्यमेव जयते
पैदा होती हैं। ये कहानियां बुद्धों के संबंध में नहीं हैं, ये कहानियां तुम्हारे संबंध में हैं। तुम यह मान ही नहीं सकते कि कोई व्यक्ति कामवासना के पार हो सकता है। कैसे तुम मानो! तुम तो हो नहीं पाते। और तम कभी हो न पाओगे जब तक लड़ोगे। जिस दिन तुम लड़ना बंद करोगे और कामवासना को सहज भाव से स्वीकार कर लोगे, तुम भी पार होने लगोगे। क्योंकि कामवासना बड़ी अनूठे ढंग की वासना है।
इसको खयाल में लेना।
भोजन की वासना है, भोजन के बिना तुम जी नहीं सकते, भोजन के बिना तुम मरने लगोगे। तो चाहे हम कितना ही बुद्धों से आशा रखें कि वे भोजन न करें, फिर भी वे भोजन तो करेंगे। चलो दो बार न करेंगे तो एक बार करेंगे। बहुत सुस्वादु न करेंगे तो बेस्वाद करेंगे। खीर-मलाई नहीं उपयोग करेंगे, रूखा-सूखा खाएंगे, लेकिन कुछ तो खाएंगे ही। क्योंकि भोजन के बिना तो एक क्षण जी न सकेंगे। पानी तो पीएंगे। चलो रात न पीएंगे, दिन ही पीएंगे। मगर पानी पीना तो पड़ेगा। श्वास तो लेंगे। अनिवार्य है।
कामवासना इस तरह की अनिवार्य वासना नहीं है। कामवासना पर तुम्हारा जीवन निर्भर नहीं है। कामवासना के बिना तुम मर न जाओगे। कामवासना के बिना तुम्हारे बच्चे पैदा न होंगे, यह सच है। कामवासना के बिना तुम नहीं मर जाओगे, बच्चे पैदा नहीं होंगे। लेकिन अगर भोजन न किया, पानी न पीया, श्वास न ली, तो तुम मर जाओगे।
तो कामवासना जीवन के लिए, तुम्हारे जीवन के लिए अपरिहार्य नहीं है। छोड़ी जा सकती है। इससे मुक्त हुआ जा सकता है। लेकिन मुक्त केवल वे ही लोग हो सकते हैं, जिन्होंने इसे पहले स्वीकार किया हो, और इसे स्वीकार करके समझा हो, और इस पर ध्यान किया हो, और इसकी पूरी आंतरिक-व्यवस्था समझी हो-उठती क्यों है?
तुमने खयाल किया कब-कब तुम्हारा मन कामवासना से भरता है? तुम चकित होओगे यह बात जानकर कि जब तुम ज्यादा चिंतित होते हो तब ज्यादा कामवासना से भरता है। जब तुम निश्चित होते हो, प्रफुल्लित होते हो, तो नहीं भरता। जब तुम शांत होते हो, आनंदित होते हो, तो नहीं भरता। तब तुम भूल जाते हो। लेकिन जब तुम अशांत होते हो, बेचैन होते हो, तब कामवासना से भर जाता है। अक्सर यह होता है।
पश्चिम के मनस्विद कहते हैं कि अक्सर पति-पत्नी इस राज को समझ लेते हैं। इसलिए संभोग करने के पहले लड़ाई-झगड़ा कर लेते हैं, क्रोधित हो जाते हैं, एक-दूसरे को गाली दे लेते हैं, झंझट खड़ी कर लेते हैं, फिर इसके बाद कामवासना में उतरना आसान हो जाता है।
यह बड़ी अजीब सी बात है। पति-पत्नी अक्सर लड़ते हैं। उनके लड़ने से ही
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