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एस धम्मो सनंतनो
हो सकती है। एस धम्मो सनंतनो।
और तब उन्होंने ये गाथाएं कहीं। गाथाओं में प्रवेश के पहले इस कथा के संबंध में कुछ बातें
पहली तो बात, यह कथा गौतम बुद्ध के साथ घटी, न घटी, इसका बहुत मूल्य नहीं है। क्योंकि यह ऐसी कथा है कि सदा से सभी बुद्धों के साथ घटती रही है। यह कथा अनूठी है। इस कथा में मनुष्य के मन का सारा रोग छिपा है।
जब भी भगवत्ता कहीं प्रगट होती है, तो अड़चन शुरू होती है। अड़चन का पहला तो कारण यही है कि धर्म के नाम पर जो परंपराएं जड़ हो जाती हैं, धर्म के नाम पर जो धारणाएं लोगों के चित्त में दृढ़ हो जाती हैं, वे ही धारणाएं धर्म की विरोधी हैं। जब भी नया धर्म पैदा होगा, तब धर्म की असली टक्कर अधर्म से नहीं होती-अधर्म की तो कोई सामर्थ्य ही नहीं कि धर्म से टक्कर ले—धर्म से टक्कर होती है झूठे धर्म की, मरे धर्म की। जीवित धर्म से टक्कर होती है मृत धर्म की। संघर्ष धर्म और अधर्म में नहीं है, संघर्ष सदा से धर्म और धर्म के नाम पर चलते हुए तथाकथित धर्म में है।
बुद्धों का विरोध नास्तिकों ने नहीं किया, बुद्धों का विरोध तथाकथित आस्तिकों ने किया है। बुद्धों का विरोध उन्होंने नहीं किया जो ईश्वर को नहीं मानते, बुद्धों का विरोध उन्होंने किया है जो झूठे ईश्वर को मानते हैं। बुद्धों का विरोध उन्होंने किया है जिनको ईश्वर का स्वयं तो कोई अनुभव नहीं है, ईश्वर की धारणा से जिनका आग्रह है। बुद्धों का विरोध उन्होंने किया है जो धर्म के नाम पर किसी तरह का शोषण करने में संलग्न हैं-पंडित, पुरोहित, धर्मगुरु। बुद्धों का विरोध धर्म के नाम पर चल रहे पाखंड से आता है।
यह बात बहुत सोच लेने जैसी है।
धर्म का विरोध धर्म से ही होता है। जैसे असली सिक्के का विरोध कंकड़-पत्थर थोड़े ही कर सकते हैं, सिर्फ नकली सिक्का करता है। असली सिक्के से टक्कर गैर-सिक्कों की नहीं है, नकली सिक्कों की है। नकली सिक्का डरता है असली सिक्के से। असली सिक्का बाजार में आ जाए तो नकली सिक्के का चलना मुश्किल हो जाए। असली सिक्का लोगों को पता चल जाए तो कौन पूछेगा नकली सिक्के को? असली सिक्का जाहिर न हो पाए, नहीं तो नकली की नकल जाहिर हो जाएगी। सत्य से डर नकली को है। सत्य से डर अभिनेता को है, वह जो अभिनय कर रहा है, वह जो पाखंड कर रहा है। ___तो चाहे बुद्ध हों, चाहे कृष्ण हों, चाहे क्राइस्ट हों, जब भी कोई व्यक्ति भगवत्ता को उपलब्ध हुआ है, तो यह आश्चर्यजनक घटना घटती है कि सारे मंदिर, सारे मस्जिद, सारे गुरुद्वारे उसके विरोध में हो जाते हैं। ये मंदिर, ये मस्जिद, ये गुरुद्वारे आपस में कितने ही लड़ते हों, लेकिन जब कोई बुद्ध पैदा होता है तो उससे लड़ने
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