________________
एस धम्मो सनंतनो भरेगा। बाल्टी पानी पैदा नहीं कर सकती। बाल्टी कुएं में पानी भरा हो तो बाहर ला सकती है। ___ जब कोई तुम्हें गाली देता है तो क्रोध थोड़े ही पैदा करता है। उसकी गाली तो बाल्टी का काम करती है, तुम्हारे भीतर भरे क्रोध को बाहर ले आती है। जब एक सुंदर स्त्री तुम्हारे पास से निकलती है तो वह तुम्हारे भीतर काम थोड़े ही पैदा करती है! उसकी मौजूदगी तो बाल्टी बन जाती है, तुम्हारे भीतर भरा हुआ काम भरकर बाहर आ जाता है। अब स्त्री से भाग जाओ तो पानी तो भीतर भरा ही रहेगा, बाल्टियों से भाग गए। संसार छोड़ दो, तो क्रोध की परिस्थिति न आएगी, लोभ की परिस्थिति न आएगी, लेकिन तुम बदले थोड़े ही! बदलाहट इतनी सस्ती होती तो सभी पलायनवादी, सभी एस्केपिस्ट महात्मा हो गए होते। और तुम्हारे सौ महात्माओं में निन्यानबे पलायनवादी हैं। उनसे जरा सावधान रहना। वे खुद भी भाग गए हैं, वे तुमको भी भागने का ही उपदेश देंगे। ____ मैं भागने के जरा भी पक्ष में नहीं हूं, क्योंकि मुझे दिखायी पड़ता है, इस संसार में रहकर ही विकास होता है। इस संसार में पड़ती रोज की चोट ही तुम्हें जगा दे तो जग जाओ, और कोई उपाय नहीं। निश्चित ही कष्टपूर्ण है यह बात, लेकिन बस यही एक उपाय है, और कोई उपाय ही नहीं। यही एक मार्ग है, और कोई शार्टकट नहीं है। कठिन है, दुस्तर है, पीड़ा होती है, बहुत बार बहुत कठिनाइयां खड़ी होती हैं, मगर वे सभी कठिनाइयां, अगर समझ हो, सहयोगी हो जाती हैं। वे सभी कठिनाइयां सीढ़ियां बन जाती हैं।
चौथा प्रश्नः
अहंकार क्या है?
हीनता को छिपाने का उपाय है अहंकार। हीनता की भीतर गांठ है कि मैं कुछ
भी नहीं; तो मैं कुछ होकर दिखा दूं, इसकी चेष्टा है अहंकार। साधारणतः प्रत्येक को यह हीनता की ग्रंथि है। क्यों? क्योंकि बचपन से प्रत्येक को कहा गया है कि कुछ होकर दिखा दो, कुछ करके दिखा दो, कुछ नाम छोड़ जाओ इतिहास में, कुछ काम छोड़ जाओ। प्रत्येक को यह कहा गया है कि तुम जैसे हो ऐसे काफी नहीं हो; तुम जैसे हो ऐसे शुभ नहीं हो, सुंदर नहीं हो; तुम कुछ करो, मूर्तियां बनाओ, कि चित्र बनाओ, कि कविताएं बनाओ, कि राजनीति में दौड़ो, कि दिल्ली पहुंच जाओ, कि धन कमाओ, कुछ करके दिखाओ। तुम्हारे होने में कोई मूल्य नहीं है। तुम्हारा होना निर्मूल्य है। तुम्हारे कृत्य में कुछ मूल्य होगा। तो कुछ
170