________________
मृत्युबोध के बाद ही महोत्सव संभव
बात खतम हो गयी। तभी संयोग की बात, कुंभ का मेला भरा। और किसी यात्री ने कहा कि महाराज, आप तीस साल से यहीं गुफा में बैठे हैं, अब चलिए भी; अब जनता को थोड़ा उपदेश भी दीजिए। आपको ज्ञान उपलब्ध हो गया। धीरे-धीरे लोग भी आने लगे थे खबर सुनकर कि कोई महात्मा तीस साल से गुफा में रहते हैं। उसको भी लगा कि अब तो कोई कारण भी नहीं डर का, अब तो तीस साल में विजय भी पा ली। लौटा, कुंभ के मेला आया। ___अब कुंभ का मेला तो कुंभ का मेला! पागलों की ऐसी भीड़ और कहीं तो मिलेगी नहीं! कुंभ के मेले में तो किसी ने फिकर ही नहीं की इनकी। भीड़ में घुसा, किसी आदमी ने पैर पर पैर रख दिया, धक्का-मुक्की हो गयी। याद ही नहीं रहा तीस साल कैसे सपने की तरह तिरोहित हो गए। पकड़ ली उस आदमी की गर्दन, लगा दिए दो-चार घूसे! वह जो शिष्य साथ आए थे लेकर, उन्होंने कहा-महाराज, आप यह क्या कर रहे हैं, पुलिस पकड़ लेगी! तब उसे होश आया। तब वह बड़ा हैरान हुआ, हंसा भी, कि यह तो तीस साल बेकार गए। मगर तीस साल एक भी बार ऐसा न हुआ। तीस साल कोई छोटा समय नहीं है-आधा जीवन! और आज अचानक हो गया। ___ तब उसे बात भी समझ में आ गयी कि पहाड़ पर बैठने से परिस्थिति ही न रही, चुनौती न रही, न किसी ने पैर पर पैर रखा, न किसी ने गाली दी, न किसी ने अपमान किया, तो क्रोध पैदा न हुआ। लेकिन इसका यह अर्थ थोड़े ही है कि क्रोध न रहा! अग्नि और घी दूर-दूर रहे, तो न अग्नि का पता चला, न घी का पता चला। अब अग्नि और घी पास-पास आ गए, तो लपट पैदा हुई, भभक पैदा हुई-एक क्षण में हो गयी। वह जो भीतर छिपा था, प्रगट हो गया।
उसने उस आदमी के, कहते हैं, पैर पड़े जिसको उसने दो बूंसे लगा दिए थे और कहा कि आप मेरे गुरु हैं। जो तीस साल में हिमालय मुझे न बता सका, वह आपने एक क्षण में बता दिया। अब मैं जाता हूं बाजार की तरफ, अब बाजार में ही रहूंगा। तीस साल व्यर्थ गए। ___ मैं तुमसे भागने को नहीं कहता, मैं तुमसे कहता हूं, यह संसार की सारी विपरीत परिस्थितियों का उपयोग कर लो। निश्चित ही यहां लोग हैं जो क्रोध दिलवा देते हैं। लेकिन इसका मतलब साफ है, इतना ही कि तुम्हारे भीतर अभी क्रोध है, इसलिए क्रोध दिलवा देते हैं। यहां लोग हैं जो तुम्हें लोभ में पड़वा देते हैं। इसलिए कि तुम्हारे भीतर लोभ है। यहां लोग हैं कि जिन्हें देखकर तुम्हारे भीतर में कामवासना जगती है। लेकिन कामवासना भीतर है, उनका कोई कसूर नहीं।
ऐसा ही समझो कि जैसे कोई आदमी किसी कुएं में बाल्टी डालता है, फिर पानी से भरकर बाल्टी निकल आती है। कुआं अगर पानी से रिक्त हो, तो लाख बाल्टी डालो, पानी भरकर नहीं आएगा। कुआं पानी से भरा होना चाहिए, तो ही बाल्टी में
169