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लोभ संसार है, गुरु से दूरी है
लेकिन धीरे-धीरे यह बात ससुर को अखरने लगी। अक्सर अखरता है। तुम्हारे गुरु को कोई न माने तो अखरता है, कष्ट होता है। क्योंकि तुम्हारे गुरु के साथ तुम्हारा अहंकार जुड़ गया होता है । तुम्हारे गुरु का मतलब यह है, तुम्हारा गुरु ठीक तो तुम ठीक। अगर तुम्हारा गुरु गलत तो फिर तुम भी गलत । तो थोड़े दिन तो ससुर ने सहा होगा, फिर धीरे-धीरे उसने कहा यह बात ज्यादा हुई जा रही है - वह कभी छूने न गयी पैर । कभी झुकी नहीं किसी और के लिए। बच जाती, कोई हजार बहाने निकाल लेती, कोई काम करने लगती, यहां-वहां सरक जाती, पड़ोस में हो जाती होगी।
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एक दिन ससुर आगबबूला हो उठा। क्रोध में सुभद्दा से बोला – तू सदा हमारे साधुओं का अनादर करती है।
साधुओं का उसने अनादर किया भी नहीं था, लेकिन कोई साधु हो तब न ! वह तो केवल असाधुओं के चरणों में झुकने से इनकार कर रही थी ।
सो बुला अपने बुद्ध को, उसके ससुर ने कहा, और अपने साधुओं को, हम भी तो उन्हें देखें । सदा उन्हीं - उन्हीं की बात करती है । देखें क्या चमत्कार है उनमें ! देखें क्या रिद्धियां - सिद्धियां हैं !
फिर भी उसकी नजर तो चमत्कार पर है, रिद्धि-सिद्धि पर है । बुद्ध को फिर भी वह पहचान न पाएगा। अगर यही नजर रहती है, तो बुद्ध को पहचानना असंभव हो जाएगा। यह गलत दृष्टि है। इसलिए सूत्र कहता है कि मिथ्या-दृष्टि था । सम्यक दृष्टि वह है जो जीवन के सत्य की तलाश करता है । और मिथ्या-दृष्टि वह जो जीवन के सत्य की तलाश तो नहीं करता, जीवन में और शक्तिशाली कैसे हो जाए इसकी खोज करता है ।
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रिद्धि-सिद्धि का क्या अर्थ है ? रिद्धि-सिद्धि का अर्थ है, वही संसार का रोग फिर लगा है। पहले धन कमाते थे, अब सिद्धियां कमाते हैं। पहले भी लोगों को प्रभावित करने में उत्सुक थे, अब भी लोगों को प्रभावित करने में उत्सुक हैं। पहले भी चाहते थे कि हमारे हाथ में शक्ति हो, बल हो, अब भी वही खोज चल रही है। सम्यक दृष्टि शांति खोजता है, मिथ्या-दृष्टि शक्ति ।
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फर्क समझ लेना। अगर तुम शक्ति खोजने निकले हो तो तुम मिथ्या-दृष्टि हो। और अगर तुम शांति खोजने निकले हो तो तुम सम्यक- - दृष्टि हो। और मजा यह है कि जो शांति खोजता है उसे शक्ति अनायास मिल जाती है। और जो शक्ति खोजता है उसे शांति तो मिलती ही नहीं, शक्ति का भी सिर्फ धोखा ही पैदा करता है । शक्ति के नाम पर चालबाजियां ।
आज ही ऐसा नहीं चल रहा है, सदा से ऐसा चलता रहा है। तुम चालबाजों के पास बड़ी भीड़-भाड़ देखोगे । और कुछ क्षुद्र बातों के लिए भीड़-भाड़ चलती है। कोई हाथ से राख गिरती है और लाखों लोग इकट्ठे हो जाएंगे। अब राख के गिरने भी क्या होता है !
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