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एस धम्मो सनंतनो
दिन असली बात दांव पर लगेगी, उस दिन शराब पीना हो तो पीना। जब मस्ती को भुलाना पड़ेगा, तब तुम खुद ही पाओगे कि यह तो महंगा सौदा हो गया । यह तो कोई सार न हुआ। पैसा लगाओ, शराब पीओ, चोरी करो, पत्नी से झगड़ो, तलाक की हालत सहो, बच्चे गाली दें, मोहल्लाभर तुमको पागल समझे, जहां जाओ वहां बेइज्जती हो, और इस सबका परिणाम कुल इतना कि हाथ जो मस्ती लगी वह खो-खो जाए !
तो उन्होंने कहा कि नौ महीने के बाद मैंने शराब बंद कर दी। क्योंकि अब इसमें कोई सार ही नहीं रहा । सार की तो बात ही छोड़ दो, उलटा जो मेरी मस्ती सध रही थी वह इसकी वजह से टूटती । यह महंगा सौदा हो गया। लेकिन तब तक मांसाहार पर कोई अड़चन न आयी थी । उसके बाद मांसाहार पर अड़चन शुरू हो आयी ।
ध्यान एक-एक कदम जाता है, धीरे-धीरे जाता है। शराब इतनी गहरी नहीं थी जितना मांसाहार गहरा था, क्योंकि मुसलमान थे। शराब तो जब जवान हो गए तब पीना शुरू की थी, मांसाहार तो बचपन से किया था। मांसाहार में तो पले थे। उसका संस्कार बहुत गहरा था, वह मां-बाप से मिला था। वह तो जब तक मां-बाप को न मार डालो, तब तक उससे छुटकारा होने वाला नहीं था । वह जरा गहरी बात थी । शराब तो ऊपर-ऊपर थी। पहले शराब चली गयी।
फिर जिस दिन उन्होंने मुझसे आकर यह बात कही, उन्होंने कहा कि आज मैं एक मित्र के घर भोजन करने गया था, जब मांस परोसा गया तो मुझे एकदम उल्टी होने लगी। एकदम घबड़ाहट हुई। मांस देखकर मेरे भीतर एकदम. ऐसा तूफान उठ गया, और जब तक मैं स्नानगृह में जाकर उल्टी नहीं कर लिया तब तक राहत न मिली। और अब मैं मांस न खा सकूंगा। खाने की तो बात दूर, अब मुझे यही सोचकर हैरानी होती है कि मैंने पिछले पैंतालीस साल जीवन के कैसे मांसाहार किया ? कैसे ?
जिस दिन तुम्हारा ध्यान गहरा होता है, ये परिणाम अपने से आने शुरू होते हैं। तो मैं कहता हूं, लालभाई ! ध्यान में लगो ! ध्यान और शराब को लड़ा दो ! ध्यान सदा जीता है, शराब सदा हारी है। प्रमाण के लिए दूसरे शराबी का प्रश्न है - तरु काः
थोड़े समय से शराब की एक मात्रा होती है जिसकी मैं तलाश में थी । बेहोशी जब आने लगती है तब संकल्प से उस घड़ी को सम्हाल लेती हूं, कुछ क्षण बाद जागृति का बड़ा विस्फोट होता है और साथ-साथ नशा पूरा एक ही साथ उतर जाता है। भीतर कुछ इतना सम्हल गया है कि मैं वर्णन नहीं कर सकती। अब कुछ अपने
श्रद्धा बढ़ रही है । लगता है कि वे दिन दूर नहीं हैं जिनकी मुझे तलाश थी। आपकी ही शराब में डूबने लायक हो जाऊं, इतनी प्रार्थना । आपने जिस तरह मुझे मेरे पर छोड़ दिया और निंदा न की, इसलिए आज मैं शराब जैसी आदत को छोड़ पाऊंगी। किस तरह आपका धन्यवाद अदा करूं! बस अब बिलकुल सब ठीक चल रहा है।
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