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मातरम् पितरम् हंत्वा
अलग न करें तो वृक्ष तोड़कर आगे बढ़ जाता है।
ऐसी ही अवस्था मनुष्य की है। मनुष्य एक छोटा पौधा है । बच्चा एक बहुत नाजुक घटना है। उसके आसपास सब तरह की सुरक्षा चाहिए। लेकिन धीरे-धीरे सुरक्षा हटनी चाहिए। तो ही बच्चा बलशाली होगा, तो ही उसके भीतर रीढ़ पैदा होगी । इसलिए अक्सर ऐसा होता है कि बड़े घरों के बेटे बिना रीढ़ के होते हैं। जिनके पास खूब सुख-सुविधा है, उनके बच्चे मुर्दा होते हैं।
तुमने देखा होगा, बड़े घरों में प्रतिभाशाली लोग पैदा नहीं होते। प्रतिभा पैदा ही नहीं होती। जितना धन-पैसा हो किसी घर में, उतने ही बुद्धू पैदा होते हैं । प्रतिभा के लिए चुनौती चाहिए। अमीर का बेटा, चुनौती ही नहीं है उसके लिए, वह कहता है, जो चाहिए वह मुझे मिला ही हुआ है; अब और क्या करना है ! पढ़-लिखकर भी क्या होगा ! विश्वविद्यालय में सिर मारने से भी क्या फायदा है !
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मैंने सुना है, हेनरी फोर्ड - - अमरीका का बड़ा करोड़पति - अपने बेटों को गरीबों की तरह पाला । फोर्ड के बड़े मोटर कारखाने के सामने उसके बेटे छोटे जब थे तो जूते पर पालिश करते थे। किसी ने हेनरी फोर्ड को कहा, यह तुम क्या कर रहे हो ? उसने कहा कि मैं ऐसे ही जूते पालिश करता था, उस जूते पालिश करने से मैं हेनरी फोर्ड बना । अगर मेरे बच्चे अभी से हेनरी फोर्ड बन गए, तो एक दिन जूता पालिश करेंगे।
बात में बल है, बात सच है । आदमी कठिनाई से बढ़ता है, सुविधा से दब जाता, मर जाता। अति सुविधा हितकर नहीं है । थोड़ी असुविधा भी होनी चाहिए, थोड़ी सुविधा भी। और धीरे-धीरे सुविधा हटती जानी चाहिए और चुनौती बड़ी होती जानी चाहिए। हटा लो बांस, हटा लो बागुड़, ताकि वृक्ष उठे, तूफानों से टक्कर ले, अंधड़ों से जूझें; तो जड़ें मजबूत होंगी। तो उसके पैर जमीन में धंसेंगे और बल आएगा, आत्मविश्वास आएगा। यह भरोसा आएगा कि मैं तूफानों से जूझ सकता हूं, कि मैं चांद-तारों की यात्रा पर अकेला जा सकता हूं, कि मेरे पैर मजबूती से जमीन में गड़े हैं- – यह पृथ्वी मेरी है, यह आकाश मेरा है।
ट्रांजेक्शनल एनालिसिस का बुनियादी आधार यही है कि एक दिन व्यक्ति को अपने मां-बाप से मुक्त होना चाहिए। बुद्ध का जो सूत्र है, मातरम् पितरम् हंत्वा, वह इसी का सूत्र है । बुद्ध कहते हैं, एक दिन माता-पिता की हत्या कर देनी चाहिए। ठीक यही बात जीसस ने भी कही है । ईसाई भी इस बात को पकड़ नहीं पाए और बड़े शर्मिंदा हो जाते हैं; जब बाइबिल में यह वचन उनको दिखलाया जाता है। तो वे बड़े परेशान हो जाते हैं । वे हल नहीं कर पाते। क्योंकि जीसस ने कहा है, जब तक तुम अपने माता-पिता को घृणा न करो, तुम मेरे शिष्य न हो सकोगे ।
अब यह भी बात उस आदमी के मुंह से जो प्रेम का उपदेष्टा था; जिसने कहा, अपने दुश्मन को भी प्रेम करना; और जिसने कहा कि जो तुम्हारे एक गाल पर चांटा
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