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________________ एस धम्मो सनंतनो परम है। न शास्त्र रोकता है, न संस्कृति, न समाज। क्यों? क्योंकि हमने यह जाना कि संन्यस्त होने का अर्थ ही यही होता है कि कम से कम समझ पैदा हो गयी, अपनी समझ पैदा हो गयी, अब ऊपर से रोपी गयी समझ की कोई जरूरत नहीं है। __ ऐसा ही समझो कि बच्चा चलना शुरू करता है तो मां उसका हाथ पकड़ती है, चलाती है। यह हाथ सदा नहीं पकड़े रहना है। एक दिन पकड़ना पड़ता है, एक दिन छोड़ना भी पड़ता है। अगर मां बहुत दया में इस हाथ को पकड़े ही रहे तो दुश्मन है। जब बच्चा चलना सीख जाए, तो जैसे एक दिन मां ने दया करके बच्चे का हाथ पकड़ा था, ऐसे ही दया करके हाथ हटा भी लेना होगा। नहीं तो यह बच्चा जवान हो जाएगा और मां इसका हाथ पकड़े फिरेगी—यह कभी प्रौढ़ ही न हो पाएगा। बहुत सी माताएं ऐसा करती हैं। बहुत से पिता ऐसा करते हैं। उनके बच्चे मुर्दा रह जाते . हैं— गोबर-गणेश। सहारा दो, पर सहारा जरूरत से ज्यादा मत दे देना। सहारा देना इसीलिए कि किसी दिन व्यक्ति बेसहारा खड़ा हो सके। अपने पैर पर खड़ा हो सके। नियम देना, ताकि नियम से मुक्त हो सके। संयम देना, ताकि संयम से मुक्त हो सके। सब समझा देना, जब उसकी सब समझ साफ हो जाए, तो उससे कहना, अब समझ भी छोड़ दे, अब तू मुक्त हो सकता है। यह दूसरी बात नहीं हो पाती। पहली बात हो जाती है, दूसरी अटक जाती है। ट्रांजेक्शनल एनालिसिस का इतना ही अर्थ है कि यह दूसरी बात हो जाए। जो मां एक दिन तुम्हारा हाथ पकड़ ली थी, वह पकड़े ही न रह जाए, उसका हाथ एक दिन छोड़ना जरूरी है। अगर उसने न छोड़ा हो तो तुम छोड़ना। तुम्हें वह हाथ से मुक्त हो जाना जरूरी है। तुम्हारे पिता ने एक दिन तुम्हें सुरक्षा दी थी, तुम्हें सब तरफ से घेरकर सुविधा दी थी, एक दिन वह घेरा तोड़ देना। अगर पिता तोड़ने को राजी न हों तो तुम तोड़ देना। वह तोड़ना जरूरी है, अन्यथा तुम घेरे में आबद्ध मर जाओगे। वह घेरा तुम्हारी कब्र हो जाएगा। . देखते न, एक पौधे को लगाते...मुक्ता यहां बगीचे में पौधा लगाती है, तो उसके सहारे के लिए एक बांस लगा देती है। फिर ऐसा हुआ कि यह यूक्लिप्टस यहां पास में है, इसका बांस लगा ही रहा। वह यूक्लिप्टस बड़ा हो गया है, लेकिन प्रौढ़ नहीं हो पा रहा। छप्पर से ऊपर उठ गया है, लेकिन बिना बांस के गिर जाता है। उसमें रीढ़ पैदा नहीं हो पायी। बांस जरूरत से ज्यादा लगा रह गया। अब कोई उपाय नहीं दिखता कि अब क्या किया जाए! अब बांस को हटाओ तो गिरता है, मर जाएगा। बांस को न हटाओ तो खतरा है-क्योंकि अब, अब बांस की जरूरत नहीं है, यह बांस हट जाना चाहिए था। ऐसी हालत बहुत लोगों की है। __ छोटा वृक्ष होता है, उसके चारों तरफ हम बागुड़ लगा देते हैं, कटघरा खड़ा कर देते हैं-सुरक्षा के लिए-फिर एक दिन कटघरे को अलग कर लेना होता है। हम 106
SR No.002387
Book TitleDhammapada 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages362
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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