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________________ मातरम् पितरम् हंत्वा अखबारों में भी हड़ताल होने लगी है। तो सात दिन पहले अखबार की हड़ताल थी, अखबार आया नहीं, तो मैंने यह हिंदुस्तान का नक्शा बिछा दिया। क्या इसमें कोई गलती हो गयी ? क्या मैंने कोई भूल चूक की ? इसमें आपको कोई एतराज है ? मुल्ला हंसा और बोला, बड़े मियां, एतराज नहीं, समस्या सुलझ गयी । तोते आदमियों जैसे जड़ नहीं होते, तोते बुद्धिमान होते हैं और संवेदनशील भी होते हैं। हिंदुस्तान जितना मल-मूत्र सह सकता था, सह चुका । और ज्यादा सहने की इसकी क्षमता नहीं है। यही देख बेचारा तोता मल-मूत्र साधे योगी बना बैठा है । हटाओ यह हिंदुस्तान का नक्शा ! तुम्हारे उपदेश, तुम्हारे उपदेष्टा, तुम्हारे सलाह देने वाले, तुम्हारे तथाकथित धर्मगुरु, तुम्हारी खोपड़ी को खूब कचरे से भर चुके हैं। जितनी सलाहें इस देश में दी गयी हैं उतनी और कहीं नहीं दी गयीं। इस देश की दुर्गति का यही बड़े से बड़ा कारण है । और जो सलाह दे रहा है, वह इसकी फिकर ही नहीं करता कि उसके जीवन में सलाह के लिए कोई प्रमाण नहीं है। उसका जीवन झुठला रहा है। वह जो कह रहा है, ठीक उससे उलटा उसका जीवन कह रहा है। इसे तुम समझना। बड़ों की तो बात छोड़ दो, छोटे-छोटे बच्चे भी तुम क्या कहते हो यह नहीं सुनते, तुम क्या करते हो इसे सुन लेते हैं। मां-बाप क्या कहते हैं बच्चे को, इससे थोड़े ही बच्चा प्रभावित होता है। मां-बाप क्या करते हैं, इससे प्रभावित होता है । बच्चा देखता रहता है। तुम लाख कहो कि झूठ मत बोलो, लेकिन बच्चा झूठ बोलेगा। क्योंकि तुम झूठ बोलते हो। तुम लाख कहो कि निर्भीक रहो, इससे कुछ फर्क नहीं पड़ता । मैंने सुना है, एक छोटा बच्चा भागा घर के भीतर आया और उसने अपनी मां से कहा – मम्मी, मम्मी, एक शेर चला आ रहा है। चौंककर उसकी मां ने देखा, एक मरियल सा कुत्ता चला आ रहा था। उसकी मां ने कहा कि हद्द हो गयी झूठ की, यह शेर है? कितनी दफा कहा, लाख दफे समझा चुकी हूं कि झूठ मत बोलो। चलो इसी वक्त आंख बंद करो और भगवान से प्रार्थना करो और क्षमा मांगो। बेटा बैठ गया पालथी लगाकर, आंख बंद करके । थोड़ी देर बाद उठा और बोला, क्षमा मांग ली। मां ने पूछा, क्या हुआ, क्या तुमने कहा? उसने कहा, मैंने कहा कि हे प्रभु, एक कुत्ता आ रहा था और मैंने अपनी मम्मी को कहा कि शेर आ रहा है, मेरी मम्मी बहुत नाराज हो गयी, कहती है झूठ नहीं बोलना चाहिए, आपका क्या विचार है ? प्रभु बोले, अरे बेफिकर रह, जब मैं छोटा था तो मैं भी अपनी मम्मी को ऐसे ही कुत्ते को शेर कहकर डराया करता था । बच्चा जानता है, तुम्हारा ईश्वर भी झूठा ! किससे प्रार्थना करने को कह रहे हो उसे । उसने कुत्ते को शेर कहा, इसमें तो शायद थोड़ी सच्चाई भी हो, लेकिन किस ईश्वर से आंख बंद करके उससे तुम प्रार्थना करने को कह रहे हो ? कोई भी नहीं है 97
SR No.002387
Book TitleDhammapada 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages362
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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