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________________ एस धम्मो सनंतनो स्त्री तो समझी नहीं। इसमें सात दिन बाद आने की क्या बात थी? सात दिन बाद पहुंची बेटे को लेकर। फकीर ने कहा कि क्षमा करो, सात दिन और लगेंगे, सात दिन बाद आओ। ऐसा तीसरी बार भी कहा तो उस स्त्री ने कहा, बात क्या है? उसने कहा, बात तो में सात दिन बाद आओ तभी बताऊंगा। __ इक्कीसवें दिन उस फकीर ने कहा, बेटा, गुड़ खाना बंद कर दे। स्त्री ने तो सिर से हाथ मार लिया कि इस सलाह के लिए इक्कीस दिन भटकाया! तीन बार बुलाया। उसने कहा, यह इतनी सी सलाह नहीं, मैं खुद ही गुड़ खाने का बहुत शौकीन हूं। इस छोटे से बच्चे को मैं कहूं कि गुड़ खाना छोड़ दे, बुरा है, इसके पहले मैं तो छोड़ दूं। इक्कीस दिन मुझे छोड़ने में लग गए। और इसे सलाह देता तो बेईमानी की होती, झूठी होती। उस बेटे ने फकीर की तरफ आंख उठाकर देखा, उसके चरणों में झुका और उसने कहा, तो मैं भी छोड़ देता हूं। तुम्हारी सलाह में मूल्य तभी आता है जब तुम भी उसे करते हो। तुम्हारा जीवन अगर तुम्हारे विचार के विपरीत है, तो लोग तुम्हारा जीवन देखते हैं, तुम्हारा विचार थोड़े ही। विचार से कोई प्रभावित नहीं होता, लोग प्रभावित जीवन से होते हैं। तुम्हारे भीतर की अग्नि से होते हैं। बातें तुम आग की करो और तुम्हारे जीवन में राख ही राख हो। तुम्हारा जीवन तुम्हारे वचनों को झुठला देगा। बातें तो सभी अच्छी करते हैं। बातें अच्छी करने में क्या लगता है। हल्दी लगे न फिटकरी, रंग चोखा हो जाए। कुछ खर्च तो होता नहीं है बात करने में। लोग जानते हैं कि बातें तो कचरा हैं। और इस देश में तो और। इस देश में इतनी सलाह दी गयी हैं, इतने उपदेश दिए गए हैं कि लोग थक गए हैं। लोग ऊब गए हैं। लोग छुटकारा चाहते हैं। तुम सोचते हो कि 'मैं दूसरों को सलाह देने में बड़ा कुशल हूं, लेकिन मेरी सलाह मेरे ही काम क्यों नहीं आती?' किसी के काम नहीं आती। जब तुम्हारे काम नहीं आती तो किसी के भी काम नहीं आएगी। ___मैंने सुना है, मुल्ला नसरुद्दीन के पड़ोसी के घर एक बड़ा कीमती तोता था। तोता सात दिन तक मल-मूत्र विसर्जन न किया, तो पड़ोसी घबड़ा गया। ऐसा कभी न हुआ था। कब्जियत आदमियों को होती है, तोतों को नहीं। तोते अभी इतने बिगड़े नहीं। अभी जीवन इतना खराब नहीं हुआ। चिंतित हुआ, कुछ समझ में न आया, सोचा मुल्ला नसरुद्दीन से पूछ लूं, बुजुर्ग आदमी हैं, बूढ़े आदमी हैं, जीवन देखा है, परखा है, बाल ऐसे ही सफेद नहीं किए हैं। नसरुद्दीन को बुलाया। मुल्ला ने अपने चश्मे को ठीक-ठाक किया, तोते के पिंजरे के चारों तरफ घूमा, ठीक से निरीक्षण किया, विचार किया काफी। फिर कहा, भाईजान, पिंजरे में आपने हिंदुस्तान का नक्शा क्यों बिछाया है? पड़ोसी ने कहा, मल-मूत्र नीचे न गिरे, इसलिए मैं सदा अखबार बिछा देता हूं। और जब से इमरजेंसी समाप्त हो गयी है, 96
SR No.002387
Book TitleDhammapada 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages362
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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