SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 108
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मातरम् पितरम् हंत्वा पहला प्रश्नः मैं दूसरों को सलाह देने में बड़ा कुशल हूं, यद्यपि अपनी समझ अपने ही काम नहीं आती है। दूसरों को सलाह देना इतना सरल क्यों होता है? म हा रा ज आप सोचते हैं कि आपकी सलाह दूसरों के काम आती है! सलाह किसी के काम नहीं आती। जब आपके ही काम आपकी सलाह नहीं आती, तो दूसरे के काम कैसे आ जाएगी? जिसको आपने ही इस योग्य नहीं माना कि इसका उपयोग करूं जीवन में, उसका कौन उपयोग करने वाला है? लुकमान से किसी ने पूछा था, ऐसी कौन सी चीज है दुनिया में जिसे सभी देते हैं और कोई नहीं लेता? लुकमान ने कहा, सलाह। दी खूब जाती है, लेता कोई भी नहीं। तुम खुद ही अपनी सलाह मानने को तैयार नहीं हो, थोड़ा सोचो! __ मैंने सुना है, एक सूफी फकीर के पास एक स्त्री अपने बेटे को लेकर आयी और उसने कहा कि इसे जरा समझा दें, मैं हार गयी, इसके पिता हार गए, इसके शिक्षक हार गए, हम सबसे समझवा चुके हैं, यह समझता नहीं, अब आप ही एकमात्र आशा हैं, यह बहुत गुड़ खाता है। फकीर ने कहा, सात दिन बाद आओ। 95
SR No.002387
Book TitleDhammapada 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages362
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy