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धर्म के त्रिरत्न
प्रतीक है, साकार अवतार है धर्म का। लेकिन जाग्रत बुद्ध को भी हम नमस्कार इसीलिए करते हैं कि वह धर्म का प्रतीक है, और किसी कारण नहीं। जब हम किसी एक दीए को नमस्कार करते हैं तो दीए के कारण नहीं करते, उसमें जलती ज्योति के कारण करते हैं। वह ज्योति तो धर्म की है। हालांकि दीए के बिना ज्योति नहीं होती। होती भी हो तो हमें दिखायी नहीं पड़ती। इसलिए हम दीए के धन्यवादी हैं कि उसने ज्योति को प्रगट करने में सहायता दी, लेकिन अंततः तो नमस्कार ज्योति के लिए है, दीए के लिए नहीं।
तो दूसरा नमस्कार धर्म के लिए। धर्म का अर्थ है, जीवन का आत्यंतिक नियम। जिससे सारा जीवन चलता है। जिसके आधार से चांद-तारे बंधे हैं। जिसके आधार से ऋतुएं घूमती हैं। जिसके आधार से जीवन चलता, उठता, बैठता। जिसके आधार से हम सोचते, विचारते, ध्यान करते, समाधि तक पहुंचते हैं। जो सारा विस्तार है जिसका, उस आधारभूत नियम का नाम है—धर्म। वह सनातन है। एस धम्मो सनंतनो। सदा से चला आया है, सदा चलता रहेगा। ... जो स्थान हिंदू-विचार में परमात्मा का है, वही स्थान बुद्ध-विचार में धर्म का है। जो सबको धारण किए हुए है, वह धर्म। उसके प्रति निरंतर स्मृति बनी रहे, तो सोते-जागते भी व्यक्ति प्रकाश से भरा रहता है।
और तीसरी बात संघ में स्मृति लीन रहे। पहला, बुद्ध, जिनमें पूरा धर्म प्रगट हुआ है। बीच में धर्म, जो अप्रगट है हमें अभी। जिसका हमें अनुमान होता है-बुद्ध को देखकर-लेकिन जिसको हमने सीधा-सीधा साक्षात नहीं किया है। जो हमारे भीतर अभी नहीं घटा है। जिसकी हमारी निजी प्रतीति नहीं है। और फिर संघ। संघ है उन लोगों का समूह, जो उस धर्म की खोज में लगे हैं। तीन बातें हैं। जो उस धर्म की खोज में मुमुक्षा कर रहे हैं, वह संघ। उनकी भी स्मृति रखना। क्योंकि अकेले शायद तुम न पहुंच पाओ। तुम अगर उनके साथ जुड़ जाओ जो पहुंचने की यात्रा पर चले हैं, तो पहुंचना आसान हो जाएगा। . गुरजिएफ कहता था, अगर एक कारागृह में तुम बंद हो, अकेले निकलना चाहो तो मुश्किल होगा। जेल बड़ा है, दीवालें बड़ी ऊंची हैं, पहरेदार मजबूत हैं; जेलर है, सारी व्यवस्था है; अकेले तुम निकलना चाहो तो मुश्किल होगा। लेकिन अगर तुम जेल में बंद दो सौ कैदियों के साथ एकजुट हो जाओ-दो सौ कैदी इकट्ठे निकलना चाहें तो बात बदल जाएगी। तब द्वार पर खड़ा एक संतरी शायद कुछ भी न कर पाए। शायद जेलर भी कुछ न कर पाए।
लेकिन अभी भी हो सकता है जेलर फौज बुला ले, मिलिटरी बुला ले, अड़चन खड़ी हो जाए। तो अगर तुम जो भीतर दो सौ कैदी बंद हैं, तुम इकट्ठे हो गए और तुमने बाहर किसी से संबंध बना लिया जो जेल के बाहर है, तो और आसानी हो जाएगी। क्योंकि वह आदमी ठीक से पता लगा सकता है-कौन सी दीवाल कमजोर
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