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________________ एस धम्मो सनंतनो हैं; और एक वे, जो सत्य के पीछे चलना चाहते हैं। जो सत्य के पीछे चलना चाहता है, उसकी विजय की कोई आकांक्षा नहीं होती, वह तो सत्य से हारने को तत्पर है। जो सत्य को अपने पीछे चलाना चाहता है, उसकी विजय की आकांक्षा होती है। वह सत्य को भी अपने अनुकूल चाहता है। वह सत्य को भी काट-पीट देता है। वह सत्य को भी ऐसा रंग-ढंग देता है कि जिससे विजय हो सके। विवादी सत्य का खोजी नहीं होता। लेकिन हत्थक को यही भ्रांति थी कि वह सत्य का खोजी है। विवादी विजय का खोजी होता है, इसे खयाल रखना। और तुम अपने भीतर खूब गौर कर लेना कि तुम विजय की खोज में लगे हो कि सत्य की खोज में। क्योंकि दोनों यात्रा-पथ बिलकुल अलग हैं। विजय की जो यात्रा है, वह राजनीति है। और सत्य की जो यात्रा है, वह धर्म है। और विजय की यात्रा में दूसरे की छाती पर चढ़ने की आयोजना है। और सत्य की यात्रा में, सत्य के चरणों में सिर झुका देने की, सत्य के सामने समर्पित हो जाने की। जब तुम विवाद करते हो तो क्या तुम यह कहते हो कि यह विवाद मैं सत्य की खोज के लिए कर रहा हूं? कहते सभी विवादी यही हैं, लेकिन असली खोज यह होती है कि मैं सही, तुम गलत। और कभी-कभी तुमने यह भी पाया होगा कि कल तुम किसी से विवाद किए थे और तुमने जो बात कही थी कि सही है, आज किसी और से विवाद करते तुम उसी बात को गलत भी कह दिए, क्योंकि आज इसी से जीतने में सुगमता होती थी। तर्क में सच-झूठ नहीं होता, तर्क तो वकील है। वकील के पास सच-झूठ नहीं होता। वकील तो कहता है, तुम जैसे भी हो, जिताऊंगा। तुम जैसे हो, उसी के पक्ष में सत्य को लाकर खड़ा करूंगा। सत्य को बदल देंगे, तुम्हें बदलने की जरूरत नहीं। कानून से काट-छांट करेंगे, सत्य को ऐसा ढंग देंगे कि वह भी तुम्हारा गवाह बन जाए। इसलिए वकील एक तरह का झूठ का व्यवसाय करता है। वकालत एक तरह की वेश्यागिरी है। वेश्या अपने शरीर को दूसरे के उपयोग के लिए दे देती है, वकील अपने मन को दूसरे के उपयोग के लिए दे देता है। यह वेश्या से भी पतित कृत्य है। वकील का कोई सत्य नहीं होता। __यूनान में सोफिस्ट हुए। सुकरात उनके खिलाफ लड़ा। सोफिस्ट ऐसे लोग थे कि वे कहते थे कि सच और झूठ होता ही नहीं। वे कहते थे, जिसको तर्क की कला आती है, वह जिस चीज को चाहे सच कर ले और जिस चीज को चाहे झूठ कर ले। सोफिस्ट कहते थे, सत्य और झूठ जैसी कोई चीज नहीं होती, तर्क की कुशलता सत्य बन जाती है और तर्क की अकुशलता झूठ बन जाती है। और वे लोगों को यही सिखाते थे। और उन्होंने बड़ी-बड़ी पाठशालाएं खोल रखी थीं, जिनमें लोगों को शिक्षण दिया जाता था सच को झूठ करने का, झूठ को सच करने का। और वे बड़े 78
SR No.002386
Book TitleDhammapada 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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