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एस धम्मो सनंतनो
अगर सच में तुम्हें पति से प्रेम है, तो मुझे लगता है, धीरे-धीरे आदत अपने आप छूट जाएगी, तुम्हारे कहने की जरूरत नहीं है । क्योंकि आदमी तमाखू खाता, सिगरेट पीता, इसके कारण हैं। जो आदमी सिगरेट पीता है, वह तनाव के कारण पीता है, तमाखू खाता है, तनाव के कारण खाता है। कुछ चबाता है। नहीं तो उसकी चिंता उसको चबाती है । यह तरकीब है ।
तुम मनोवैज्ञानिक से पूछो, तो वह कहेगा, जो आदमी सिगरेट पीता है, वह बहुत तनाव से भरा है। कुछ करता है, रेस्टलेसनेस है । सिगरेट पी लेता है, धुआं भीतर ले गया, बाहर ले गया - थोड़ा प्राणायाम हो गया- -थोड़ी सी बेचैनी कम हो गयी। कुछ कर गुजरे।
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तुमने यह खयाल किया, अगर तुम सिगरेट पीते हो, तो जब तुम पर तनाव के दिन होते हैं तब तुम ज्यादा पीते हो; जब तनाव के दिन नहीं होते तो तुम कम पीते हो। कभी-कभी ऐसा भी हो जाता है, अगर तुम खुश हो, तो पीते ही नहीं; दिन निकल जाता है, याद भी नहीं आती। जितनी चिंता होती है, उतना ही ज्यादा पी लेते हो। तमाखू भी जिस दिन चिंता पकड़ती है, ज्यादा खा लोगे। कुछ चबाने को मुंह में पड़ा रहे, तो तुम्हारा चित्त थोड़ा बंटा रहे ।
अब यह गीता के पति तमाखू खाते हैं। जरूर चिंता होगी। तमाखू की फिकर मत करो, तमाखू तो मूल नहीं है, चिंता होगी कुछ । इनको इतना प्रेम दो, इनके जीवन के आसपास इतना नृत्य और संगीत बसाओ कि चिंता कम हो जाए। चिंता कम हो जाए तो तमाखू खाना अपने आप बंद हो जाएगा। और न भी हो, तो तमाखू ही खांते हैं, कोई और बड़ी, कोई बड़ा भारी उपद्रव नहीं कर रहे हैं। चलेगा। इतनी कुछ बेचैनी की बात नहीं है। दो कौड़ी की बातें हैं। दो कौड़ियों की बातों पर बहुत बल मत लगाओ। नहीं तो अक्सर होता है कि छोटी बातों पर बड़ी चीज चूक जाती है।
मैं देखता हूं, पति-पत्नियों में बहुत छोटे-छोटे झगड़े हैं, और सारा जीवन नष्ट हो गया ! उन्हीं छोटे-छोटे झगड़ों में | कुछ बड़ी बात भी न थी । अगर उनसे पूछो कि क्या झगड़े का कारण है? तो वे भी संकोच करते हैं, कहते हैं कि यह तो कुछ खास बड़ी बात...। जब बड़ी बात नहीं है तो तुम जिंदगीभर लड़ते कैसे रहे?
अब तमाखू कोई बहुत बड़ी बात नहीं है। कोई हत्या तो नहीं करते किसी की, कोई जुआ नहीं खेलते, कोई शराब नहीं पी रहे हैं, कोई ऐसा कोई बड़ा भारी काम नहीं है, तमाखू चबा रहे हैं। चिंता होगी। चिंता पर थोड़ा फिकर करो। अगर पत्नी में थोड़ी समझ हो तो वह फिकर करेगी कि पति चिंतित हुए, यह तमाखू का चबाना सिर्फ खबर दे रहा है। अब तुम अगर इनके पीछे पड़ गए कि तमाखू छोड़ो, यह और चबाने लगेंगे, क्योंकि तुम चिंता इनकी बढ़ा रहे। कम नहीं कर रहे। इनकी चिंता और बढ़ी कि अब यह और एक मुसीबत आ गयी कि अब तमाखू छोड़ो। यही तो एक सहारा था इनका । मूढ़तापूर्ण सहारा है, कोई बड़ी बुद्धिमत्ता की बात नहीं है तमाखू
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