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क्षण है द्वार प्रभु का
स्वभावतः, स्त्रियों ने सूक्ष्म रास्ते निकाल लिए बदला लेने के। तो आदमी में कमजोरियां पकड़ती हैं। अब कमजोरियां सभी में होती हैं। ऐसा आदमी पाना मुश्किल है जिसमें कमजोरी न हो। क्योंकि जिसमें कमजोरी नहीं होती, वह फिर पैदा नहीं होता। वह तो गया मोक्ष। वह तो आएगा कैसे? न सिगरेट पीता, न तमाखू खाता, न जुआ खेलता, न ताश खेलता, न अखबार पढ़ता, वह तो गया मोक्ष! यहां तो जो आता है, उसमें कमी तो होगी ही। इसलिए बड़ी होशियार तरकीब है। तुम ऐसा पति पा सकते हो जिसमें कोई कमी न हो? ___ मैंने सुना, मुल्ला नसरुद्दीन एक स्त्री के प्रेम में था। जब भी मुझे मिलता तो वह कहता कि बड़ी गजब की स्त्री है, देवी है देवी! बिलकुल संतोषी मां का अवतार है!
उसने मेरी शराब छुड़ा दी, एक दिन मुझसे बोला। अभी विवाह नहीं हुआ है और उसने उनकी शराब छुड़ा दी। कुछ दिन बाद मिला, मैंने पूछा कि क्या कर रही है? देवी अब क्या कर रही है? उन्होंने कहा, उसने मेरा मांसाहार छुड़ा दिया, बड़ी अदभुत महिला है! फिर एक दिन मिला तो कहा कि मेरा जुआ भी छुड़ा दिया। वह मुझे बदले डाल रही है, मेरा सारा जीवन रूपांतरित कर दिया। फिर एक दिन मिला, कहा, मेरी सिगरेट भी छुड़ा दी, मेरे पान भी छुड़ा दिए। फिर एक दिन मिला, मैंने पूछा कि अब यह तो ठीक हो रहा है छुड़ाने का काम, विवाह कब करोगे? उसने कहा, अब मैं उससे विवाह करने वाला नहीं। अब मेरा चरित्र इतना बेहतर है कि उससे बेहतर स्त्री मिल सकती है।
मतलब समझे?
अब यह गीता कहती है, मेरे पति को तमाखू खाना छुड़ा दो। फिर मुझसे मत कहना ! अब यह तमाखू खाना छोड़ दें, चरित्रवान हो जाएं, बेहतर पत्नी मिल सकती है, फिर?
जैसे हैं, स्वीकार करो। ऐसे भले हैं। तमाखू न खाते होते तो तुमको चुनते कैसे! जैसे हैं, उसी कारण तो तुम्हें चुना है।
अक्सर ऐसा होता है कि तुम इतना ज्यादा सुधार कर दो कि वह बिलकुल साधु हो जाएं। फिर साधु हो जाएं तो वह चले! फिर पछताओगी, फिर कहोगी कि भगवान, कोई तरह इनको तमाखू खिलाना शुरू करवा दें। अब यह घर ही से चले! क्योंकि जो आदमी तमाखू की आदत छोड़ सकता है, वह पत्नी की आदत भी छोड़ सकता है। पत्नी भी एक आदत है, और पति भी एक आदत है। ये सब आदतें हैं।
खयाल रखना, यह मानवीय नहीं है। ऐसा प्रश्न उठाना अशिष्ट है। तुमने जिस व्यक्ति को प्रेम किया है, वह जैसा है उसको प्रेम किया है, उसमें उसकी तमाखू खाने की आदत भी सम्मिलित है। और खयाल रहे कि मैं यह नहीं कह रहा हूं कि वह तमाखू खाते रहें। पहली तो बात मैं यह कह रहा हूं कि यह पत्नी को यह बात नहीं उठानी चाहिए, यह अशोभन है।