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________________ एस धम्मो सनंतनो हैं। कल जब सत्ता फिर बदल जाएगी तब तुम फिर पाओगे, इन्होंने फिर चेहरे बदल लिए। ये मुखौटे बदलते रहते हैं। जिसकी लाठी उसकी भैंस। भैंस से कोई संबंध ही नहीं है किसी को। किसकी है, इससे भी कोई संबंध नहीं है, जिसकी लाठी! लाठी तुम्हारे हाथ में नहीं, तुम्हारी भैंस भी गयी। कहते हैं न गांव में-गरीब की औरत सबकी भौजाई। सब उससे भौजाई का नाता-रिश्ता बना लेते हैं। कोई भी मजाक करे, ठिठोली करे, कोई भी कुछ कह दे, कोई अड़चन नहीं-गरीब की औरत! आदमी जब तक ध्यानस्थ न हो, तब तक उसके जीवन से न्याय तो हो ही नहीं सकता। इस छोटी सी कहानी में बुद्ध न्याय की आधारशिला रख रहे हैं। न्याय से वहां किसी को प्रयोजन न था। और जहां न्याय ही न हो, वहां करुणा तो कैसे हो सकती है! यह भी खयाल रखना कि करुणा न्याय से भी बड़ा सिद्धांत है। न्याय तो मानवीय है, करुणा ईश्वरीय है। न्याय का तो मतलब ऐसा है, जैसा जीसस ने कहा कि पुरानी किताब कहती है, इंजील कहती है कि जो तुम्हारी एक आंख फोड़े, उसकी दोनों आंख फोड़ देना, यह तो न्याय है। जो तुम्हें ईंट मारे, उसे पत्थर मार देना, यह तो न्याय है। लेकिन यह करुणा तो नहीं है। __एक आदमी ने चोरी की, वह किसी के पचास रुपए जेब से काट लिए। न्याय यह है कि वह पचास रुपए वापस लौटाए और पचास रुपए चुराने के जुर्म में कुछ महीने दो महीने की सजा काटे। न्याय यह है। यह ठीक है। न्याय ही नहीं हो रहा है दुनिया में। यह भी नहीं हो रहा है। इस पर भी हजार बातें निर्णायक होंगी कि इस आदमी को सजा मिलेगी कि पुरस्कार मिलेगा। कोई कुछ जानता नहीं। लेकिन करुणा और बड़ी बात है। करुणा तो यहां तक सोचेगी कि इस आदमी को पचास रुपए चुराने क्यों पड़े? क्या इसकी पत्नी बीमार थी? क्योंकि कोई भी चीज संदर्भ के बाहर तो नहीं हो सकती, इस आदमी ने ऐसे ही आकस्मिक तो पचास रुपए नहीं चुरा लिए। इसका बच्चा मर रहा था? इसकी पत्नी बीमार थी, दवा के लिए पैसे न थे? अगर पत्नी मर रही हो और कोई पचास रुपए चुरा ले, तो क्या यह इतना बड़ा जुर्म है! पत्नी को बचाने की आकांक्षा को अगर हम ध्यान में रखें तो पचास रुपए चुरा लेना क्या इतना बड़ा जुर्म है! और फिर जिससे इसने पचास रुपए चुराए हैं, उसके पास करोड़ों हैं। वह भी संदर्भ में ध्यान रखने की जरूरत है। उससे चुराए पचास, कुछ भी न चुराए। और इसकी पत्नी बच गयी! __ इसको दंड मिलना चाहिए? कितना दंड मिलना चाहिए? इससे पचास रुपए छीने जाने चाहिए? इसको दो महीने की सजा देनी चाहिए? क्योंकि इससे पचास रुपए छीनने का मतलब होगा कि इसकी पत्नी न बचेगी। और दो महीने इसे जेल भेजने का मतलब होगा, इसके बच्चे भी मरेंगे। और इसकी पत्नी बीमार रहेगी, पत्नी शायद न बचे, बच्चे बीमार हो जाएं, बच्चे आवारा हो जाएं, दो महीने बाद जब यह 22
SR No.002386
Book TitleDhammapada 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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