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________________ एस धम्मो सनंतनो बनाया जा रहा है और झूठ सच बनाया जा रहा है। न्याय से किसी को भी कोई प्रयोजन नहीं। और जहां न्याय तक न हो, वहां करुणा तो हो ही कैसे सकती थी। उन भिक्षुओं ने लौटकर यह बात भगवान को कही। भगवान ने कहा, ऐसा ही है भिक्षुओ! जैसा नहीं होना चाहिए वैसा ही हो रहा है। इसका नाम ही तो संसार है। और तब उन्होंने ये दो गाथाएं कहीं न तेन होति धम्मट्ठो येनत्थं सहसा नये । यो च अत्थं अनत्थञ्च उभो निच्छेय्य पंडितो।। असाहसेन धम्मेन समेन नयती परे। धम्मस्स गुत्तो मेधावी धम्मट्ठोति पवुच्चति ।। 'बिना विचार किए यदि कोई धर्म-निर्णय (न्याय) करता है, तो वह धर्मस्थ (न्यायाधीश) नहीं है।' 'जो पंडित अर्थ और अनर्थ-न्याय और अन्याय-दोनों का निर्णय कर विचार, धर्म और समत्व के साथ न्याय करता है, वही धर्म से रक्षित मेधावी पुरुष न्यायाधीश है।' गाथाएं तो सीधी-साफ हैं, फिर भी गहरी हैं। अक्सर ऐसा होता है कि सीधे और सरल सत्य ही गहरे होते हैं। जटिल सत्य तो सिर्फ उथलेपन को छिपाने के लिए कहे जाते हैं। सीधी-सादी बात में जितनी गहराई होती है, उतनी और किसी बात में नहीं होती। बुद्ध के वचन सीधे-सादे हैं। इन्हें समझने के लिए किसी बहुत बड़े पांडित्य की जरूरत नहीं है। अगर न समझने की जिद्द ही न कर रखी हो तो समझ लेना घट जाएगा। सूत्र के पहले इस छोटी सी कहानी को भी समझ लेना चाहिए। ये कहानियां बड़ी सारगर्भित हैं। श्रावस्ती नगर। राजधानी थी उस समय की, बड़ी राजधानी थी। राजधानी सदा से ही पागलों का आवास रही है। राजधानी का अर्थ ही होता है, जहां सब तरह के चोर, बेईमान, लुच्चे-लफंगे इकट्ठे हो गए हों। राजधानी का अर्थ ही होता है, जहां सब तरह के चालाक, चार सौ बीस इकट्ठे हो गए हों। राजधानी में सब तरह के उपद्रवियों का अपने आप आगमन हो जाता है। ___ अंग्रेजी में राजधानी के लिए शब्द है, कैपिटल। वह शब्द बड़ा अच्छा है। कैपिटल बनता है कैपिटा से। कैपिटा का अर्थ होता है, सिर। कहते हैं न-पर कैपिटा। कैपिटल बनता है कैपिटा से। उसका अर्थ होता है, जहां सिर ही सिर इकट्ठ हो गए हैं। इसका अर्थ हुआ कि जहां पागल ही पागल इकट्ठे हो गए हैं। जहां हृदय बिलकुल नहीं है। जहां हृदय सूख गया है। जहां हृदय से कुछ भी नहीं घटता है। 14
SR No.002386
Book TitleDhammapada 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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