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________________ एस धम्मो सनंतनो स्मति है मेरा हल और हंकनी। सत्य है बांधने का साधन; कोमलता खोलने का साधन। शक्ति हैं बैल मेरे। इस तरह मैं हल चलाकर भ्रम की कांस उखाड़ देता हूं। और जो फसल काटता हूं, वह है निर्वाण की। इस तरह दुख विनष्ट होता है, निर्वाण प्रगट होता है; हे ब्राह्मण, तू भी ऐसा ही कर। मनुष्य को बुद्ध ने बड़ा वैज्ञानिक विचार दिया है। उसे तुम समझो तो दुख से मुक्त हो सकते हो। तीसरा प्रश्नः क्या शास्त्रों से वस्तुतः ही कोई लाभ नहीं है? स ना तो नहीं कभी कि लाभ हुआ हो। लेकिन इस पर निर्भर करेगा कि लाभ से तुम्हारा अर्थ क्या है। कौन सा लाभ? अगर तुम सत्य को पाना चाहते हो तो शास्त्र से नहीं मिलता, स्वयं से मिलता है। अगर तुम सिद्धांत जुटाना चाहते हो, निश्चित शास्त्र से मिल जाते हैं, स्वयं से कभी नहीं मिलते। अगर तुम पंडित होना चाहते हो तो शास्त्र के द्वारा ही हो सकते हो। अगर वही लाभ है, तो जरूर लाभ होता है शास्त्र से। लेकिन पंडित होना कोई लाभ है? उधार, बासे विचारों को इकट्ठा कर लेना कोई लाभ है? दूसरों ने जाना और तुमने सिर्फ सुनकर इकट्ठा कर लिया, वह भी कोई लाभ है? यह तो धोखा है। बुद्ध कहते थे, एक आदमी अपने घर के सामने बैठा रोज सुबह गांव से बाहर जाती गौओं, भैसों की गिनती करता था। और रोज शाम फिर जब वे लौटतीं, तब फिर गिनती करता था। और धीरे-धीरे गिनती करते-करते उसे ऐसा लगने लगा कि वह उसकी ही गाएं हैं। पांच सौ गाएं जातीं, पांच सौ आतीं।। उसकी पत्नी ने उसे कहा कि तुम पागल हो गए हो? दूसरों की गाएं गिनते हो बैठे-बैठे कि इतनी गयीं, इतनी आयीं, बड़ा हिसाब लगाते हो-वह बैठा कागज पर हिसाब लगाता रहता, कि अभी एक गाय नहीं लौटी, कि अभी दस गाएं नहीं लौटी, कि आज क्या बात हो गयी-उसकी पत्नी ने कहा कि एक अपनी गाय हो वह भी काफी है, पांच सौ दूसरों की अपने किस काम की! जाएं कि आएं, तुम बैठे-बैठे समय क्यों खराब करते हो? बुद्ध कहते थे, ऐसा ही आदमी वह है जो दूसरों के वचनों का हिसाब लगाता रहता है। वेद में क्या लिखा, कुरान में क्या लिखा, उसका हिसाब लगाता रहता है। इसकी फिकर ही नहीं करता कि एकाध गाय अपनी हो कि जिसका दूध पीएं, कि 170
SR No.002386
Book TitleDhammapada 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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