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एस धम्मो सनंतनो है, पहले सत्व में उठो। श्रेय का अर्थ होता है, पहले शिवत्व में जागो। श्रेय का अर्थ होता है, पहले थोड़ी दिव्यता का अनुभव करो-फिर प्रिय को चुनना। ___ जो आदमी श्रेय को चुन लेता है वह प्रेय को पा ही लेता है। क्योंकि श्रेय की आखिरी अवस्था में सिर्फ परमात्मा के अतिरिक्त और कोई प्रेय नहीं रह जाता। श्रेय की ऊंचाई पर सिवाय आत्मानुभव के और कोई चीज प्रिय नहीं रह जाती।
तो अभी जो प्रिय को खोजेगा वह भटकता चला जाएगा। अब यह मजे की बात समझना। अभी जो प्रिय को खोजेगा वह प्रिय को तो पाएगा ही नहीं और श्रेय को भी चूक जाएगा। क्योंकि प्रिय तो एक ही है, वह तुम्हारे अंतरतम में बसा है, वह तुम्हारे हृदय का मालिक है, वह प्रियतम तुम्हारे भीतर बैठा है। और तुम बाहर टटोल रहे हो। कभी इस चीज को प्रेय मान लेते हो, कभी उस चीज को प्रेय मान लेते हो-कहते हो कभी, बड़ा मकान; कहते हो कभी, बड़ा हीरा; कभी कहते हो, बड़ी दुकान, बड़ी कार-कुछ करते रहते, खोजते रहते। कहीं भी पाते नहीं हो प्रिय को। जो मिल जाता है वही व्यर्थ हो जाता है। ___क्या तुम्हारे जीवन का अनुभव भी यही नहीं है? जो मिल जाता है वही व्यर्थ हो जाता है। जब तक नहीं मिला, तब तक सार्थक मालूम होता है। बड़े से बड़े महल में भी पहुंचकर भी कितने दिन तक महल सुख देता है? दो-चार दिन पा लेने की तरंग रहती है, अकड़ रहती है कि मिल गया। दो-चार दिन के बाद तुम भूल जाते हो। जो महलों में रहते हैं कोई चौबीस घंटे महल को याद रखते हैं! महल झोपड़े जैसे ही भूल जाते हैं। और बड़े महलों के सपने उठने लगते हैं। सब महल छोटे हो जाते हैं। जो है, वही व्यर्थ हो जाता है। __तो श्रेय का अर्थ होता है, पहले स्वयं को जगाओ। तुम जाग गए तो ही तुम श्रेय को खोज सकोगे। तुम सोए-सोए टटोलते रहे तो तुम गलत को ही पकड़ते रहोगे। तुम ही गलत हो, तो तुम ठीक को कैसे खोजोगे? श्रेय की तलाश करने वाला श्रेय को तो पा ही लेता है और अचानक एक दिन पाता है, प्रेय मुफ्त में मिल गया। श्रेय की छाया की तरह मिल गया।
तो बुद्ध कहते हैं, श्रेय को छोड़कर प्रिय को ग्रहण करने वाला मनुष्य उस व्यक्ति के साथ स्पृहा करे, उस व्यक्ति के साथ स्पर्धा करे, जो आत्मानुयोगी है, जो अपने भीतर जा रहा है, आत्मा की तलाश कर रहा है।
उन तीनों को बुद्ध ने यह वचन कहा कि तुम थोड़ा सोचो, क्या कर रहे हो? ऐसे कहीं प्रिय मिला है! ऐसे तो जीवन गंवा दोगे। बेटे से थोड़े ही प्रिय मिल जाएगा, न पत्नी से मिल जाएगा, न पिता से मिलेगा, संबंधों से कोई प्रिय मिलता नहीं। संबंधों से तो तुम सिर्फ इतनी बात को छिपाते हो कि तुम अकेले हो, बस। अकेले नहीं हो।
तुमने खयाल किया, अकेले रह जाते हो घर में, कैसी घबड़ाहट, भांय-भांय