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आत्मबोध ही एकमात्र स्वास्थ्य
सकेगा। लेकिन कमरे में बैठने से एकांत पैदा न हो जाएगा। उलटे मत चलो। उलटे चलना आसान मालूम पड़ता है, इसलिए अधिक लोग उलटे चलने लगते हैं।
महावीर को ज्ञान हुआ, उनका दीया जला, उनका सूरज ऊगा, तो स्वभावतः लोगों को लगा कि हमको कैसे हो यह? कैसे हम ऐसा करें? महावीर नग्न खड़े थे तो वे भी नग्न खड़े हो गए। उन्होंने सोचा कि नग्नपन से होता है, दिगंबर हो गए। ___अब कोई नंगे होने से थोड़े ही महावीर का ज्ञान होता है! हां, महावीर का ज्ञान अगर हो जाए, फिर तुम्हारी मर्जी, तुम्हें नंगा होना पसंद पड़े तो नंगा हो जाना। क्योंकि बहुत महावीर हुए हैं इस जगत में, सभी नंगे नहीं हुए। उसी समय बुद्ध मौजूद थे, वे नंगे नहीं हुए। यह तो तुम्हारी मौज है। यह तो फिर तुम्हारी सुविधा-असुविधा की बात है, फिर तुम जानना।
लेकिन नग्न होने से तुम्हें ज्ञान उत्पन्न हो जाएगा, यह तो बड़ी ओछी बात हो गयी। ज्ञान इतना सस्ता तो नहीं है कि तुम नग्न खड़े हो गए तो ज्ञान उत्पन्न हो जाए! तो कितने नागा-साधु घूमते हैं मुल्क में! कुंभ के मेले में तुम जाकर उनके दर्शन कर लेते हो, उनमें तुम्हें महावीर जैसा कुछ भी न दिखायी पड़ेगा। लंपट सब तरह के। उनके जीवन में कोई ज्योति नहीं। तुम उनके चेहरों पर किसी तरह की शांति, आनंद का भाव न पाओगे। क्रोध, हिंसा, सब पाओगे। उन नागाओं के जो आश्रम हैं, वे अखाड़े कहलाते हैं। अखाड़े! यह कोई पहलवानी कर रहे हो! मारपीट में कुशल हैं वें। दंगा-फसाद में कुशल हैं। हर छोटी-मोटी बात पर जान देने और लेने को तैयार हैं!
नग्न होने से तो कुछ न होगा। इसीलिए तो कबीर ने कहा है कि अगर नग्न रहने से होता तो सभी पशु-पक्षी कभी के जिनत्व को उपलब्ध हो जाते। पशु-पक्षी तो नंगे ही घूम रहे हैं। उन्होंने तो कपड़े पहले ही से नहीं पहने हैं। नहीं, तो कपड़े के छोड़ने से कुछ नहीं हो जाएगा।
लेकिन मैं यह नहीं कह रहा हूं कि हो जाए तो शायद तुम्हारे कपड़े छूट जाएं, वह अलग बात है। वह तो फिर तुम्हारी घटना से क्या ठीक-ठीक तालमेल खाएगा, वह फिर होता रहेगा।
महावीर शाकाहारी, तो लोगों ने सोचा, हम भी शाकाहारी हो जाएं, तो हमारा भी बोध ऐसे ही हो जाएगा। तो जैनी आज ढाई हजार साल से शाकाहारी हैं। ढाई हजार साल के शाकाहार में भी क्या हुआ है? कुछ भी नहीं हुआ। एक जैन में और एक अजैन में क्या फर्क है? वैसा ही क्रोध उठता, वैसी ही वासना उठती, वैसी ही ईर्ष्या, वैसी ही हिंसा, वैसी ही घृणा, क्या हुआ है? ऊपर की बातें पकड़ना सुगम हो जाता है। यह बिलकुल आसान है कि पानी छानकर पी लो, रात भोजन मत करो, इसमें क्या अड़चन है। ___जरूर, महावीर रात भोजन नहीं करते थे, क्योंकि भीतर जो रोशनी उनके पैदा हुई थी, उस रोशनी में उन्हें यह उचित नहीं मालूम पड़ा कि रात भोजन किया जाए,
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