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________________ एस धम्मो सनंतनो और आम नहीं चूसे। मैं तुमसे कहता हूं, आम चूस लो, गुठलियां बीनने से कुछ सार नहीं है। और आम गिनने में तो कुछ भी मतलब नहीं है। बुद्ध बार-बार कहते थे कि एक गांव में एक आदमी था। वह अपने घर के सामने बैठा रहता, रोज सुबह गांव की सब गाएं-भैंसें गांव के बाहर जातीं, नदी के पार जातीं, फिर सांझ को लौटतीं घर, वह रोज गिनती करता रहता—कितनी गाय-भैंसें गयीं, कितनी आयीं? कभी-कभी चिंतित भी हो जाता कि दो सौ गयी थीं और एक सौ निन्यानबे लौटी, एक कहां गयी! बुद्ध कहते, वह आदमी पागल था। उसको कुछ लेना-देना नहीं, उसकी एक गाय नहीं, एक भैंस नहीं! मगर वह बैठा इसमें बड़ा उलझन में पड़ा रहता। और बुद्ध कहते, ऐसे ही वे लोग हैं जो दूसरों के विचार बैठ-बैठकर गिनती करते रहते हैं। बुद्ध कहते थे कि मेरे विचार मत पकड़ना। अप्प दीपो भव। अपने दीए बनो। मेरा इशारा पकड़ो। ___ तो जब मैं तुमसे कहता हूं, मुझसे प्रभावित होओ, तो मैं यह कह रहा हूं कि मैं जहां खड़ा हूं, वहां से तुम भी खड़े होकर देखना शुरू करो। जो आकाश मुझे दिखायी पड़ रहा है, वह तुम्हें भी दिखायी पड़ सकता है। आकाश के संबंध में मेरे द्वारा कही गयी बातों को मत पकड़ लेना, उनसे मत प्रभावित हो जाना। क्योंकि मैं कितनी ही आकाश की स्तुति में गीत गाऊं, मेरी स्तुति आकाश नहीं है। और मैं कितना ही उस स्वाद की चर्चा करूं, मेरे शब्द तुम्हें उस स्वाद को न दे सकेंगे, वह स्वाद तुम्हें लेना पड़ेगा। मैं कितने ही जलस्रोतों के गीत गुनगुनाऊं, तुम्हारी प्यास न बुझेगी। तुम्हें जलस्रोत तक चलना पड़ेगा। और यह मैं जोर देकर कहना चाहता हूं, क्योंकि बहुत लोग विचारों से ही प्रभावित होकर समाप्त हो जाते हैं। ऐसी भूल तुम मत करना। पांचवां प्रश्नः...चौथे से थोड़ा मिलता-जुलता है, इसलिए उसी के साथ समझ लेना उचित है... कल के सूत्र में भगवान बुद्ध ने कहाः जैसे चंद्रमा नक्षत्र-पथ का अनुसरण करता है, वैसे ही धीर, प्राज्ञ, बहुश्रुत, शीलवान, व्रतसंपन्न, आर्य तथा बुद्धिमान पुरुष का अनुगमन करना चाहिए। और उनका ही यह प्रसिद्ध वचन भी है: आत्म दीपो भव। क्या दोनों वक्तव्य परस्पर विरोधी नहीं हैं ? जरा भी नहीं। -दो शब्द समझो-अनुगमन और अनुकरण। 50
SR No.002385
Book TitleDhammapada 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages378
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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