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आत्मबोध ही एकमात्र स्वास्थ्य
है? शून्य का अनुभव। वही मौलिक है। __ लेकिन मौलिक का तुम यह अर्थ मत लेना कि पहले नहीं हुआ, मौलिक का तुम
और अर्थ लेना-मूल का, मौलिक, मूल से, जड़ों से। मौलिक का यह अर्थ मत लेना कि नया। मौलिक का यह अर्थ लेना कि जो तुम्हें हुआ है शून्य में, समाधि में, वह जड़ का अनुभव है, मूल का अनुभव है, उत्स का अनुभव है, स्रोत का अनुभव है। ऐसा नहीं कि पहले किसी को नहीं हुआ। बहुत बुद्ध हुए हैं, बहुत बुद्ध होंगे, बहुत बुद्ध होते रहे हैं, सभी उसी मूल पर पहुंचते हैं। मूल पर पहुंचते हैं तो मौलिक।
तो मैं जो तुमसे कह रहा हूं, वह मौलिक इस अर्थ में है कि मूल से कह रहा हूं। लेकिन नया है, इस अर्थ में मौलिक मत समझना।
और फिर तुम कहते हो कि 'मैं आपके मौलिक विचारों से बहुत प्रभावित हूं।' प्रभावित होना कोई अच्छी बात नहीं। प्रभावित होना खतरनाक भी हो सकता है। मेरे विचारों से प्रभावित मत होओ। क्योंकि विचारों से प्रभावित होकर तुम करोगे क्या? विचारों का संग्रह कर लोगे, थोड़े ज्ञानी हो जाओगे, थोड़ी जानकारी जुटा लोगे। विचारों से प्रभावित होने में कोई सार नहीं है। __ज्यादा अच्छा होगा, तुम मुझसे प्रभावित होओ, मेरे विचारों से नहीं। तुम मेरी दशा से प्रभावित होओ, मेरे विचारों से नहीं। विचारों से तो तुम इतना ही इशारा लो कि जहां से ये विचार आ रहे हैं, उस दशा में मैं भी पहुंच जाऊं। विचारों को संगृहीत करने मत लग जाना। नहीं तो तुमने सागर के किनारे मोती छोड़कर शंख और सीपी बीन लिए। सागर की गहराई में डुबकी लगाओ। ___मुझसे प्रभावित होने का मतलब है, जहां मैं हूं, वहां पहुंचने की चेष्टा में संलग्न हो जाओ। ये दोनों बातों में फर्क है। अगर तुम मेरे विचारों से प्रभावित हुए तो तुम विचारों को सम्हालने लगोगे, तिजोड़ी में बंद करने लगोगे, स्मृति में बिठाने लगोगे, उनको दोहराने लगोगे, दूसरों को बताने लगोगे। वह बहुत काम का नहीं है। उससे तुम पंडित हो जाओगे, प्रज्ञावान न हो सकोगे। उससे तुम विद्वान हो जाओगे, लेकिन तुम्हारे भीतर का वेद सोया का सोया पड़ा रह जाएगा। उससे तुम ज्यादा बुद्धिमान प्रतीत होने लगोगे, लेकिन वस्तुतः बुद्धिमान हो न जाओगे। तुम्हारी चेतना पर और थोड़ी धूल की पर्ते जम जाएंगी। तुम्हारा दर्पण और भी ढंक जाएगा। मैं यहां तुम्हारे दर्पण को ढांकने के लिए नहीं, उघाड़ने को हूं। ___ तो मेरे विचारों को तो तुम छोड़ो। मेरे विचारों का इंगित कहां है, किस तरफ है—निर्विचार की तरफ है--तो निर्विचार में उतरो।
इसको खयाल में लेना, यह महत्वपूर्ण है।
जब मैं तुम से बोल रहा हूं तो तुम दो बातें कर सकते हो। तुम मेरे विचार पकड़ सकते हो। तो तुम चूक गए, तो तुम मुझसे चूक गए, तो तुम असली से चूक गए। तो तुमने गुठलियां बीन ली और आम नहीं चूसे। तो तुम आम की गिनती करने लगे
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