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एस धम्मो सनंतनो हो गयी है, वैसे-वैसे मासिक धर्म का जो लाभ है, वह तुम्हें दिखायी पड़ना शुरू हो जाएगा। कि चार दिन में निपट गए, यह अच्छा ही है। यह समझदारी ही है। जल्दी निपट गए। माना कि आग तेज थी, मगर जल्दी निपट गए। बाकी दिन जो बचते हैं, वे ज्यादा सुख-शांति के हैं।
मासिक धर्म की बात कुछ नयी नहीं है। धर्म शास्त्रों में बड़ा विचार हुआ है। बुद्ध-महावीर को भी विचार करना पड़ा है। क्योंकि यह प्रश्न प्राचीन है। यह सदा से है। कोई आज की ही स्त्री शरीर से नहीं जुड़ गयी है, सदा से जुड़ी रही है। स्त्री का रोग है शरीर, पुरुष का रोग है मन। और चाहे तुम शरीर से जुड़े रहो, चाहे मन से, दोनों हालत में तुम आत्मा से चूकते हो। मन से जुड़े हो तो भी आत्मा से चूक जाओगे, शरीर से जुड़े हो तो भी आत्मा से चूक जाओगे।
पुरुष को छोड़ना है मन के साथ अपना लगाव, स्त्री को छोड़ना है तन के साथ अपना लगाव। दोनों को बराबर मेहनत करनी है। तन के साथ लगाव छोड़ने में उतनी ही मेहनत है जितनी मन के साथ लगाव छोड़ने में है। और दोनों से लगाव छुट जाने पर जो शेष रह जाता है, अ-लगाव की जो दशा, असंग दशा, वहीं-आत्मबोध है। वही आत्मबोध स्वास्थ्य है।
पूछा है तुमने कि 'स्वस्थ होने की कोई औषधि?' .
स्वस्थ होने की एक ही औषधि है, इस बात की प्रतीति कि मैं आत्मा हूं-न शरीर, न मन। मन के रोग हैं, शरीर के रोग हैं। __तुम जानकर चकित होओगे, स्त्रियां कम पागल होती हैं पुरुषों की बजाय, संख्या पुरुषों की दुगुनी है। पुरुष दोगुने ज्यादा पागल होते हैं। क्यों? क्योंकि स्त्रियों का पागलपन थोक मात्रा में निकल जाता है, पुरुषों का पागलपन अटका रह जाता है। फिर स्त्रियां कम पागल होती हैं, क्योंकि उनका लगाव तन से है, तन थोड़े ही पागल होता है। पुरुष पागल होते हैं, क्योंकि उनका लगाव मन से है, मन पागल होता है। ज्यादा पुरुष आत्महत्याएं करते हैं-दुगुने पुरुष।
यह तुम्हें थोड़ी हैरानी होगी। क्योंकि आमतौर से तुम स्त्रियों को ज्यादा धमकी देते पाओगे आत्महत्या की। करती नहीं, धमकी देती हैं, उनकी धमकी की बहुत चिंता मत लेना। और अगर करती भी हैं तो इतने इंतजाम से करने की कोशिश करती हैं कि बचा ली जाएं। अगर नींद की गोली भी खाएंगी तो पांच-छह-सात से ज्यादा नहीं खातीं। वह सिर्फ धमकी है। दस स्त्रियां चेष्टा करती हैं आत्महत्या की, नौ बच जाती हैं। दस पुरुष चेष्टा करते हैं, पांच बच पाते हैं। पुरुष की चेष्टा, वह हिम्मत से घुस ही जाता है अंदर एकदम, फिर वह सोचता ही नहीं कि यह अब क्या करना है! वह बिलकुल पागल हो जाता है।
दुगुने पुरुष आत्महत्या से मरते हैं, दुगुने पुरुष पागल होते हैं। और इस सबके मूल में मासिक धर्म का सहारा है स्त्री को। चार दिन में उसका सारा पागलपन निकल