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________________ एस धम्मो सनंतनो इसके पीछे जाओ। इससे सीखो। जो इसे हुआ है, वही तुम्हें भी होने दो। यह जो तिष्यस्थविर कर रहा है। क्या कर रहा है? कोलाहल से काल की निद्रा नहीं टूटती, न धक्के मारने से समय का द्वार खुलता है रचनात्मक समाधि के व्यूह में जाओ नीरवता और शांति को सिद्ध करो रात, अंधकार और अकेलापन शक्ति के असली उत्स हैं रोशनी से बचो और लक्ष्य को अंधेरे में विद्ध करो बाहर बहुत रोशनी है, इसलिए हम आंखें खोले बैठे रहते हैं। बाहर बहत रूप है, इसलिए हम आंखें खोले बैठे रहते हैं। आंख बंद करते हैं तो भीतर अंधेरा है। रात, अंधकार और अकेलापन शक्ति के असली उत्स हैं रोशनी से बचो और लक्ष्य को अंधेरे में विद्ध करो जब कोई मौन हो जाता है, ध्यान में डूबता, तो अपने ही गहन अंधेरे में डूबता है। तुमने देखा, वृक्ष की असली ऊर्जा आती जड़ों से, जो अंधेरे में दबी हैं। शक्ति के असली उत्स, स्रोत अंधेरे में हैं। मां के गर्भ में अंधेरे में पड़ा हुआ बच्चा बढ़ता है, जीवन को पाता है। बीज भूमि में दब जाता है, अंधेरे में फूटता है। तुम थक जाते दिन में, रात के अंधेरे में सो जाते, सुबह फिर पुनरुज्जीवित होते हो-नया जीवन, नयी ऊर्जा लेकर आते हो। जिसे अपने भीतर जाने का रहस्य समझ में आ गया, उसके जीवन में परम ऊर्जा प्रगट होने लगती है। वह एक ऐसे उत्स पर पहुंच जाता है, एक ऐसे स्रोत पर कि जितना भी खर्च करो, करो, कुछ खर्च नहीं होता। वह अविनाशी स्रोत को उपलब्ध हो जाता है। __ बुद्ध ने अनेक-अनेक रूपों में लोगों को जागने की ही शिक्षा दी है। कोई ज्यादा भोजन कर रहा है, तो उसे जगाया। कोई भूखा है तो कैसे जाग पाएगा तो भोजन दिया। कोई रागाग्नि में डूबा है, तो उसे झकझोरा, जगाया। कोई शब्दों में, रोने-धोने में, संबंधों में डूबा है, तो उसे हिलाया। तोड़कर पुराने आभूषण नहीं बनाया कोई नया आभरण नकारकर स्थापित मूल्य नहीं रचा कोई नया प्रतिमान 28
SR No.002385
Book TitleDhammapada 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages378
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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