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________________ एस धम्मो सनंतनो ऐसा एक वक्तव्य नहीं है जो आदमी दे सके, जो कि पहले नहीं दिया गया हो। यह हो सकता है कि समय ने बहुत धूल जमा दी हो, दूरी हो गयी हो, हम भूल भी गए हों। लेकिन जो भी आज है, वह कल भी था, परसों भी था, कल भी होगा, परसों भी होगा। हमारी मूढ़ता वैसी ही है जैसे गुलाब का एक फूल जो आज खिला है, वह खिलते ही से कहे, ऐसा फूल पृथ्वी पर कभी नहीं खिला। या सूरज आज ऊगा है, वह कहे कि ऐसा सूरज पहले कभी नहीं ऊगा। कि रात तारे आकाश में फैले हों और घोषणा कर दें कि ऐसी तारों-भरी रात पहले कभी नहीं हुई। जो आज हो रहा है, वह सदा होता रहा है। आज अनूठा नहीं है। सूरज के तले नया कुछ भी नहीं है। हां, बहुत बार बातें खोजी जाती हैं, फिर खो जाती हैं। समय की धारा में भूल जाती हैं। फिर-फिर खोज ली जाती हैं। इसलिए हर खोज पुनोज है। कोई खोज नयी नहीं है। बुद्ध ने कहा, हीनभाव ही श्रेष्ठता का दावेदार बनता है। एडलर का पूरा मनोविज्ञान इस वचन में आ गया। तुम देखना, आदमी के व्यक्तित्वों में झांकना, तो तुम पाओगे, जहां-जहां हीनता की ग्रंथि होती है वहां-वहां श्रेष्ठ होने का भाव पैदा होता है। चोर सिद्ध करने की कोशिश करता है कि मैं चोर नहीं हैं। चोर बड़ी जोर से कोशिश करता है कि मैं चोर नहीं हूं। क्योंकि वह डरा हुआ है भीतर से, हूं तो चोर ही। सिद्ध तो करूंगा, नहीं सिद्ध कर पाऊंगा तो पकड़ लिया जाऊंगा। चोर अगर चुप रहे तो उसे डर लगता है कि मेरी चुप्पी कहीं मेरी चोरी का प्रमाण न बन जाए। झूठ बोलने वाला सिद्ध करता है कि मैं जो कह रहा हूं, वह सच है। जो लोग बहुत कसमें खाते हैं, समझ लेना कि वे झूठ बोलने वाले लोग हैं। नहीं तो कसमें नहीं खाएंगे। हर बात पर कसम, कि भगवान की कसम, कि तम्हारी कसम। जो आदमी कसमें खाता है, यह झूठ बोलने वाला आदमी है। क्योंकि इसे सच अपने आप में काफी है, ऐसा नहीं मालूम पड़ता। इसे लगता है, कसम जोड़ो साथ में; अपने आप में तो कुछ है नहीं; कसम की बैसाखी लग जाए तो शायद झूठ थोड़ा चल जाए। सच बोलने वाला आदमी कसम नहीं खाएगा। कसम का मतलब ही होता है-झूठ का तुम्हें पता है, अब तुम झूठ को लीपा-पोती कर रहे हो। अब तुम किसी तरह से प्रमाण जुटा रहे हो कि सच हो जाए। हीनभाव ही श्रेष्ठता का दावेदार बनता है। तुमने दुनिया में देखा, अगर तुम बड़े-बड़े राजनीतिज्ञों की जीवन-कथा पढ़ो तो तुम बहुत चकित हो जाओगे। उन में कोई न कोई हीनता की ग्रंथि थी, इसीलिए वे पदों की तरफ भागे। नेपोलियन की ऊंचाई कम थी-पांच फीट दो इंच। मनोवैज्ञानिक कहते हैं, यही कारण था। वह हमेशा बेचैन था इस बात से कि उसकी ऊंचाई बहुत कम है। 336
SR No.002385
Book TitleDhammapada 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages378
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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