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________________ शब्दों की सीमा, आंसू असीम गए। तब उस पैसा देने वाले फकीर ने कहा, आज तो मानोगे कि हार गए। उसने कहा कि नहीं। उसने कहा, हद्द हो गयी, आज मेरे पास रुपया न होता तो हम मरते, उस तरफ जंगल खतरनाक था, जंगली जानवर थे, रात रुकना खतरे से खाली नहीं था। रुपया था तो हम पार हुए। उस दूसरे फकीर ने कहा, रुपए के होने की वजह से पार नहीं हुए, रुपया तुम दे सके, इसलिए पार हुए। रुपया छोड़ सके, इसलिए पार हुए। अगर तुम पकड़े रहते तो हम मरते उसी तरफ। विवाद अपनी जगह रहा। ___दोनों बातें अर्थपूर्ण हैं। दोनों बातों की गहराइयां हैं। अमरीका में लोग सोचते हैं कि धन स्वतंत्रता लाता है। उस बात में भी सचाई है। धन एक तरह की स्वतंत्रता लाता है। धन पास न हो तो एक तरह की परतंत्रता होती है। तुम एक बड़े मकान में रहना चाहते हो, धन नहीं है तो नहीं रह सकते, तो परतंत्रता हो गयी। तुम एक बड़ी कार खरीदना चाहते हो, धन नहीं है तो नहीं खरीद सकते, तो परतंत्रता हो गयी। तुम आज इस होटल में जाकर भोजन करना चाहते थे, जेब खाली है तो नहीं जा सकते, तो परतंत्रता हो गयी। तो अमरीकन दलील में भी सार तो है। वह उस दूसरे फकीर की दलील है, जो कहता था, पैसे पास होने चाहिए, तो आदमी में बल होता है, स्वतंत्रता होती है। तो अमरीका में एक पकड़ है कि पैसा हो तो स्वतंत्रता होती है। लेकिन महावीर और बुद्ध की बात भी गलत नहीं है। वे कहते हैं, पैसा हो तो चिंता होती है। और उनकी बात के लिए अमरीका में काफी प्रमाण हैं। चालीस साल की उम्र होते-होते जिस आदमी के पास पैसा है, या तो उसके पेट में अल्सर हो जाते हैं, या मस्तिष्क खराब होने लगता है, या हार्ट अटैक पड़ने लगते, कुछ न कुछ गड़बड़ शुरू हो जाती। अमरीका में तो कहा जाता है कि चालीस साल के हो गए और अगर हार्ट अटैक न हुआ तो इसका मतलब है, जिंदगी बेकार गयी। इसका मतलब है कि तुम असफल आदमी हो। सफल आदमी को तो होता ही है, चालीस-बयालीस साल, मतलब होना ही चाहिए। सफल आदमी का मतलब यह होता है कि इतना तनाव होगा कि हृदय दुर्बल हो जाएगा। क्या खाक सफलता मिली!, __ भिखमंगों को नहीं होता, यह बात सच है। चालीस-बयालीस साल क्या, उनको अस्सी साल तक भी नहीं होता। वे इस बीमारी को जानते ही नहीं। हमारे देश में भी यह खयाल तो था, इसलिए हम इस तरह की बीमारियों को जैसे टुबरकोलेसिस को, क्षयरोग को राजरोग कहते थे। वह सिर्फ कभी राजाओं को होता था। फिर राजा तो रहे नहीं-सभी लोग राजा हो गए—इसलिए अब सभी को होने लगा। सफलता की एक तकलीफ तो है, चिंता लाती है। तो महावीर और बुद्ध की बात में भी बल है। दोनों तर्क सही हैं। मेरा खयाल यह है कि दोनों तर्क अलग-अलग लोगों के लिए लागू हैं। अगर जनक को कितना ही धन दे दो तो भी अल्सर नहीं होगा, यह पक्का है। और हार्ट अटैक भी नहीं होगा, यह भी पक्का है। तुम्हें अगर अड़चन हो तो तुम लाकर धन 309
SR No.002385
Book TitleDhammapada 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages378
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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