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सत्य सहज आविर्भाव है
चिरकाल तक दुख में न डाले रहें।'
इस सूत्र में दोनों सूत्रों का सार आ गया है।
बुद्ध ने कहा, ऊपर से जब सुख मालूम पड़ता है, सम्हलना, क्योंकि इसी सुख के कारण तुम जन्मों-जन्मों तक दुख में पड़े रहे हो और दुख में पड़े रहोगे। और जब ऊपर से दुख मालूम पड़े, कठिनाई मालूम पड़े, हिम्मत करना, गुजर जाना इस बीहड़ वन से, चढ़ जाना इस पर्वत-शिखर पर, आज जो कठिन है, वही तुम्हारे जीवन में सदा-सदा शाश्वत सुख की वर्षा का कारण बनेगा। उन ऊंचाइयों पर ही रोशनी है। उन ऊंचाइयों पर ही प्रकाश है। अंधेरी घाटियों में सरकना अभी कितना ही सुविधापूर्ण मालूम पड़े...। ___ तुमने कभी खयाल किया, झूठ बोलना सदा सुविधापूर्ण मालूम पड़ता है। लंबे अर्थों में, लंबे अर्से में झंझट में डालता है, लेकिन बोलते वक्त बड़ा सुविधापूर्ण मालूम पड़ता है, बचाव हो जाता है। सत्य बोलते समय कठिनाई में डालता है, लेकिन अंततः वही सुख सिद्ध होता है। ___ अंततः सत्य जीतता है और झूठ हारता है। सत्यमेव जयते। जो जीतता है अंततः, वही सत्य है। सत्य की विजय सुनिश्चित है। लेकिन लंबी यात्रा है सत्य की। झूठ जल्दी-जल्दी जीत जाता है। झूठ कहता है, अभी, नगद मैं तुम्हें सुख देता हूं। सत्य का सुख लंबा है। इसीलिए तो हम कहते हैं, जीवन के बाद, मोक्ष में। बड़ा दूर दिखता है शिखर। कल, कभी मिलेगा, मिलेगा कि नहीं मिलेगा।
बुद्ध ने कहा है, दुख सुख का धोखा दे देता है। मैं निरंतर कहता हूं कि अगर तुम्हें कहीं स्वर्ग की तख्ती लगी मिले, तो जल्दी मत प्रवेश कर जाना। क्योंकि शैतान बहुत होशियार है, उसने नर्क पर स्वर्ग की तख्ती लगा दी है। जल्दी मत प्रवेश कर जाना, नहीं तो बहुत दिक्कत में पड़ोगे। अक्सर नर्क बाहर से देखने पर बड़ा सुखदायी मालूम होता है; भीतर जाकर झंझट खड़ी होती है।
__ एक आदमी मरा। वह नर्क गया। शैतान ने उसका स्वागत किया, वह तो बड़ा हैरान हुआ। वह तो सोचता था कि मार-पिटाई होगी शुरू में, उसका स्वागत हुआ। उसने कहा, भई, हम तो कुछ उलटी ही सुलटी खबरें सुनते रहे नरक के संबंध में, और तुम ऐसा स्वागत कर रहे हो! गले लगाया, फूलमालाएं पहनायीं और शैतान के शिष्य नाचे और कूदे और ढोल बजाए। वह तो बहुत ही खुश हुआ, उसने कहा, बढ़िया! और चारों तरफ देखा तो बड़ा सौंदर्य भी है! और उसने शैतान से पूछा, अब हमें क्या करना पड़ेगा?
शैतान ने कहा, तुम चुन लो। हमारे संबंध में बड़ी झठी खबरें फैलायी गयी हैं, क्योंकि हमें बोलने का मौका ही नहीं मिला। ईश्वर के इतने अवतार हुए, तुम्ही बताओ, शैतान का कहीं कोई अवतार हुआ! ईश्वर तो बोलता रहा—इकतरफा बात चल रही है वही समझाता रहा, हमारी किसी ने सुनी भी नहीं, मौका भी नहीं
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