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________________ एस धम्मो सनंतनो हो जिसको सिद्ध करना कठिन हो, तू विरोध में हो जाना। जैसे कोई कह रहा हो कि ईश्वर की कृपा, तू फौरन पकड़ लेना शब्द कि कहां है ईश्वर, कैसा ईश्वर, सिद्ध करो! कोई कहता हो, चांद सुंदर है, फौरन पकड़ लेना, जबान पकड़ लेना कि क्या प्रमाण है ? मैं कहता हूं, कहां है सौंदर्य ? कैसा सौंदर्य ? कोई कहता हो, गुलाब का फूल सुंदर है; कोई कहता हो, यह स्त्री जा रही है, देखो कितनी प्रसादपूर्ण है, कितनी सुंदर-पकड़ लेना जबान उसकी, छोड़ना मत। जहां भी सौंदर्य की, सत्य की, शिवम् की कोई चर्चा हो रही हो, तू पकड़ लेना। क्योंकि न सत्य सिद्ध होता, न सौंदर्य सिद्ध होता, न शिवम् सिद्ध होता, ये चीजें सिद्ध होती ही नहीं। इनके लिए कोई प्रमाण नहीं है। और कोई जब सिद्ध नहीं कर पाएगा, तो तू सात दिन में देखना, गांवभर तुझे पंडित मानने लगेगा। उसने, महामूर्ख तो था ही, वह उसके पीछे पड़ गया लाठी लेकर। वह गांव में घूमने लगा, उसने लोगों की बोलती बंद कर दी। उसको लोग देखकर चुप हो जाते कि कुछ मत कहो। कोई कह रहा है कि शेक्सपियर की किताब बड़ी सुंदर है, वह खड़ा हो जाता कि किसने कहा? कोई कहता, यह चित्र देखते हो, चित्रकार ने बनाया है, कितना प्यारा! वह कहता, इसमें है क्या? रंग पोत दिए हैं। कोई मूरख पोत दे, इसमें रखा क्या है? इसमें तुम्हें दिखायी क्या पड़ रहा है? ___ उसने सारे गांव को चौकन्ना कर दिया। सात दिन के भीतर गांव में यह अफवाह फैलने लगी कि यह आदमी महापंडित हो गया है। महामूर्ख नहीं है, यह ज्ञानी है। हमने अब तक इसे पहचाना नहीं। वह वही का वही आदमी है। लेकिन गांव की दृष्टि उसके बाबत बदल गयी। __लालूदाई ने कहा, क्या व्यर्थ की बकवास लगा रखी है? गांव के सीधे-सादे लोग, वे सिद्ध भी तो क्या करेंगे? कि सारिपुत्र की वाणी में अमृत है। कह रहे थे, सिद्ध तो न कर सकेंगे। तुम भी जितनी बातें कहते हो, सिद्ध तो न कर सकोगे। छोटी-छोटी बातें सिद्ध नहीं हो सकतीं। तुम कहते हो, मेरा किसी स्त्री से प्रेम हो गया। और कोई अगर पूछे, कहां है प्रेम, दिखलाओ? रोज होता है प्रेम, सदा से होता रहा है प्रेम, लेकिन सिद्ध तो न कर सकोगे। वैज्ञानिक की टेबल पर निकालकर तो न रख सकोगे कि तुम जांच-पड़ताल कर लो। और अगर तुम कहो कि मेरे हृदय में है, वह कहेगा, चलो, कार्डियोग्राम करवा देते हैं, आएगा प्रेम कार्डियोग्राम में? नहीं आया, फिर? चलो, डाक्टर से स्टेथोस्कोप लगवाकर जांच करवा देते हैं, धड़कन में है? तुम मुश्किल में पड़ जाओगे। हृदय भी खोलकर जांच की जाए तो भी कुछ प्रेम तो पाया न जाएगा। प्रेम कोई वस्तु तो नहीं है, भाव है। जब उन लोगों ने कहा कि सारिपुत्र के वचनों में अमृत है, तो वे सारिपुत्र की कम कह रहे थे, उनके हृदय में जो घटा था वही कह रहे थे। यह वचन उनके भीतर 272
SR No.002385
Book TitleDhammapada 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages378
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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