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________________ एस धम्मो सनंतनो 'निर्लज्ज, कौवे जैसा शूर, लूटपाट करने वाले, पतित, बकवादी, पापी मनुष्य का जीवन सुख से बीतता लगता है।' हिरिमता च दुज्जीवं निच्चं सुचिगवेसिना। अलीनेनप्पगब्भेन सुद्धाजीवेन पस्सता।। 'लज्जाशील, नित्य पवित्रता के गवेषक, सजग, मितभाषी, शद्ध जीविका वाले और ज्ञानी मनुष्य का जीवन कष्ट से बीतता लगता है।' एवं भो पुरिस! जानाहि पापधम्मा असञता। मा तं लोभो अधम्मो च चिरं दुक्खाय रन्धयु ।। । __'हे पुरुष! संयमरहित पापकर्म ऐसे ही होते हैं, इसे जानो। (उनमें ऊपर-ऊपर तो सुख मालूम होता है, भीतर बहुत दुख है)। तुम्हें लोभ और अधर्म चिरकाल तक दुख में न डाले रहें (इसलिए सजग हो जाओ, जागो)।' इसके पहले कि हम सूत्रों में प्रवेश करें, इस कथा को ठीक-ठीक समझ लेना जरूरी है। कथा तो सीधी-सादी है, जटिल जरा भी नहीं, पर ऐसे बहुत महत्वपूर्ण है। सत्य होता भी सीधा-सादा ही है। आदमी सत्य को जटिल बनाता, अन्यथा सत्य बड़ा सरल है। इसलिए सत्य को कहने के लिए सदा ही छोटी-छोटी कथाएं सहयोगी बनी हैं। जो बड़े-बड़े शास्त्र नहीं कह पाते, दर्शन की बड़ी-बड़ी उलझी हुई धारणाएं नहीं कह पातीं, वह छोटी-छोटी कथाएं-जिन्हें बच्चे भी समझ लें-कहने में समर्थ हो जाती हैं। - इस छोटी सी सीधी-सादी कथा को एक-एक पर्त उघाड़कर समझो श्रावस्ती नगरवासी उपासक सारिपुत्र और मौदगल्लायन के पास धर्म-श्रवण कर उनकी प्रशंसा कर रहे थे। ये बुद्ध के दो परम शिष्य थे-सारिपुत्र और मौदगल्लायन। ये दोनों स्वयं महापंडित थे। जब ये बद्ध के पास आए थे तो इन दोनों के भी पांच-पांच सौ शिष्य थे। इनकी देश में बड़ी ख्याति थी। और जब बुद्ध के पास आए, तो दोनों को शास्त्र का अपूर्व ज्ञान था। लेकिन जब बुद्ध ने कहा, यह ज्ञान शास्त्र का है, सारिपुत्र, मौदगल्लायन! यह ज्ञान तुम्हारा नहीं। तो अपूर्व हिम्मत के लोग रहे होंगे, बुद्ध के चरणों में सिर ही नहीं रखा, अपना सारा ज्ञान भी डाल दिया। और कहा कि अब हम अज्ञानी होने को राजी हैं। तुम्हारा साथ रहे, तो हम अज्ञानी होने को राजी हैं। हम भी जानते हैं अपने अनुभव से कि इस ज्ञान से हमने कुछ पाया नहीं। शिष्य तो बहुत चौंके थे सारिपुत्र के और मौदगल्लायन के, क्योंकि वे तो सोचते 264
SR No.002385
Book TitleDhammapada 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages378
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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