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एस धम्मो सनंतनो
पैडल मारना बंद कर दे, साइकिल रुक जाती है। खैर, थोड़ी-बहुत दूर चली भी जाए शायद पैडल मारना रोकने के बाद, पुराने गति के आधार से, मगर ज्यादा देर नहीं चल सकती। __क्यों? क्योंकि पैडल मारे बिना साइकिल चलेगी कैसे? दुख का जो चाक है, उसे तुम चला रहे हो। मगर किसी भांति तुमने यह देखना बंद कर दिया है कि हम उसे चला रहे हैं। तुम सदा एक तरकीब करते हो, जब भी तुम दुखी होते हो, तुम सोचते हो कोई तुम्हें दुखी कर रहा है। ___पति दुखी है, वह सोचता है, पत्नी दुखी कर रही है। बाप दुखी है, वह सोचता है, बेटा दुखी कर रहा है। कोई न कोई, पर तुम दुख को टाल देते हो कि कोई मुझे दुखी कर रहा है। बस यही तुम्हारी तरकीब है, इससे दुख बचा रहता है। जिस दिन तुम देखोगे गौर से, तुम पाओगे दुखी मैं कर रहा हूं, कोई मुझे कैसे दुखो कर सकता है! किसकी सामर्थ्य है तुम्हें दुखी करने की! तुम्हें कोई न तो दुखी कर सकता, न कोई सुखी कर सकता, तुम्हारी स्वतंत्रता परम है।
समझो किसी आदमी ने गाली दे दी। अब तो बात साफ है कि न यह गाली देता, न हम दुखी होते। इतनी ऊपर-ऊपर बातें साफ नहीं होतीं। अगर यह आदमी गाली देता है और तुम दुखी होने को तैयार नहीं हो, तो तुम गाली देने पर भी दुखी न होओगे। तुम हंसकर चले जाओगे। तुम कहोगे, पागल, इसको क्या हुआ बेचारे को! इसके भीतर गाली लग रही, तो जरूर इसके भीतर बड़ी पीड़ा होगी, बड़ी तकलीफ होगी। लेकिन इससे तुम परेशान न होओगे।
बुद्ध को कोई गाली दे जाता है, तो बुद्ध तो परेशान नहीं होते। परेशान होने का कारण तो तभी बनता है जब तुम्हारे भीतर परेशानी मौजूद हो। जब तुम्हारे भीतर कोई घाव हो और कोई घाव को छेड़ दे। ऐसे कोई घाव को छेड़ दे और घाव हो ही नहीं, तो तुम्हें कोई परेशानी नहीं होती। ___ तुमने खयाल किया, जब कोई गाली देता है तो तुम्हें तकलीफ इसीलिए होती है कि तुम्हारे मन में सम्मान की आकांक्षा थी और अपमान मिला। चाहा था सम्मान
और अपमान मिला। सोचा था यह आदमी प्रशंसा करेगा, स्तुति करेगा और यह गाली दे गया। तुमने यह भी खयाल किया कि गाली का उसी मात्रा में तुम पर असर होता है, जिस मात्रा में आदमी तुम्हारे करीब होता है। चोट भी उसी की लगती है जो बहुत करीब होता है। क्योंकि जो बहुत करीब होता है, उससे हमारी अपेक्षा बहुत होती है। एक अजनबी आदमी गाली दे जाए, हमें उतना दुख नहीं होता। लेकिन मित्र गाली दे जाए तो ज्यादा दुख होता है।
क्यों? गाली तो एक जैसी है। लेकिन मित्र से हमने अपेक्षा नहीं की थी कि गाली देगा, मित्र से तो चाहा था कि कभी गाली न देगा। अपनों से चोट लगती है, खयाल किया? परायों से क्या चोट लगती है! तुम्हारा बेटा कुछ कह दे तो चोट लग
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