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तृष्णा का स्वभाव अतृप्ति है
यौवन को दर्पण मत देता। ओ, हर सुबह जगाने वाले, ओ, हर शाम सुलाने वाले, इतना दुख रचना था जग में
तो फिर मुझे नैन मत देता। लेकिन मैं तुमसे कहता हूं, नैन हैं कहां? आंख है किसके पास इस दुख को देखने की? अगर ईश्वर ने आंख दी भी थी दुख को देखने की, तो तुमने उसे बंद कर रखा है। तुम डर से आंख खोलकर देखते नहीं। तुम उसी तर्क को मानते हो जिसको शुतुरमुर्ग मानता है। शुतुरमुर्ग का दुश्मन सामने आ जाता है तो वह रेत में सिर गड़ाकर खड़ा हो जाता है। उसका तर्क सीधा-साफ है, ठीक अरस्तू का तर्क है। वह तर्क यह है कि जो दिखायी नहीं पड़ता, वह है नहीं।
तुम भी तो यही तर्क मानकर चलते हो। मेरे पास लोग आ जाते हैं, वे कहते हैं, ईश्वर अगर है तो दिखलायी क्यों नहीं पड़ता? जो नहीं दिखायी पड़ता, वह नहीं है। वही तर्क शुतुरमुर्ग का है। वह आंख बंद कर लेता है, रेत में सिर गपा लेता है, दुश्मन सामने खड़ा है, दिखायी नहीं पड़ता उसको; नहीं दिखायी पड़ता तो सोचता है, है नहीं। निश्चित हो गया।
ऐसे ही हमने जीवन के सत्यों से आंखें छिपा ली हैं। सामने खड़ा है जीवन सारे दुख का अंबार लिए, हम जीवन को देखते ही नहीं, हम आगे देखते हैं। हम सपनों में देखते हैं, हम कल्पनाएं रचते हैं, हम सपने रचते हैं।
गुरजिएफ कहा करता था और ठीक थी उसकी बात-कि जैसे रेल के दो डिब्बों के बीच में बफर लगे होते हैं, बफर का काम होता है कि अगर कभी जोर का धक्का लगे तो यात्रियों को धक्का न लग जाए, बफर धक्के को पी जाते हैं। या जैसे कार के नीचे स्प्रिंग लगे होते हैं, गड्डा भी आ जाए तो स्प्रिंग कार के धक्के को पी जाते हैं, अंदर बैठे यात्री को थोड़ा-बहुत हलन-चलन होती है, लेकिन धक्का नहीं लगता। फिर जितनी अच्छी गाड़ी हो, उतने ही अच्छे स्प्रिंग होते हैं। जितनी महंगी गाड़ी हो, उतने ही अच्छे स्प्रिंग होते हैं। स्प्रिंग का अर्थ ही यह है कि वह जो चोटें आती हैं, धक्के आते हैं, उनको पी जाएं, तुम तक न पहुंचने दें।
सपने हमारे बफर हैं। सपनों के कारण जीवन के धक्के हम तक नहीं पहुंच पाते। सपना पी जाता है धक्का। हमारे और जीवन के बीच सपनों की एक दीवाल है। उधर जीवन है, वह चोटें करता जाता है और हम सपने देखते चले जाते हैं। हम सपनों में रहते हैं, हम जीवन में रहते कहां हैं ! इसलिए हमें दिखायी नहीं पड़ता कि जीवन दुख है। और जिसे यह नहीं दिखायी पड़ता कि जीवन दुख है, वह महाजीवन में प्रवेश न कर सकेगा।
जब यह तुम्हें रत्ती-रत्ती सौ प्रतिशत सिद्ध हो जाएगा कि जीवन दुख है, खालिस
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