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________________ उठने में ही मनुष्यता की शुरुआत है कच्ची उमर के लोगों को उलटी-सीधी बातें पढ़ाया करते हैं। इससे सावधान रहना। यह तुझे कुछ उलटी-सीधी बातें पढ़ा रहा है। ____फकीर युवक को लेकर अपने झोपड़े पर लौट आया। उसने कहा, अब तेरा क्या खयाल है? क्योंकि वह किसान भी जिद्द करता है कि ये मेरे विचार हैं। एक मन के संबंध में बहुत बुनियादी सत्य समझ लेना-जितने विचार तुम अपने कहते हो, उनमें शायद ही कोई तुम्हारा होता है। तुम अक्सर दूसरों के पकड़ते हो। तुम से बलशाली आदमी जब तुम्हारे करीब होता है, तत्क्षण तुम उसके विचार पकड़ लेते हो। कहने की जरूरत नहीं होती। विचारों की तरंगें प्रतिक्षण ब्राडकास्ट हो रही हैं, हर एक आदमी से हो रही हैं, जो कमजोर होता है वह बलशाली की पकड़ लेता है। जैसे पानी ऊपर से नीचे की तरफ बहता है, ऐसे बलशाली व्यक्ति से विचार कमजोर व्यक्तियों की तरफ बहते हैं। इसलिए तो कहा है, बुरे आदमियों के पास मत बैठना। क्योंकि अक्सर ऐसा होता है, तुम्हारे तथाकथित भले आदमियों से बुरे आदमी ज्यादा बलशाली होते हैं। तुम्हारे नपुंसक भले आदमियों की बजाय अपराधी बहुत बलशाली होते हैं। इसलिए कहा कि बरे आदमियों के पास मत बैठना। बुरे का सत्संग मत करना। वह बुरा है, लेकिन बलशाली तो है ही! अब जिस आदमी ने दस हत्याएं की होंगी, वह कोई कम बल का आदमी नहीं है! उसने दुरुपयोग किया है बल का, यह दूसरी बात है। उसने ठीक नहीं किया बल का उपयोग, यह दूसरी बात है। लेकिन बलशाली है, इसमें तो कोई संदेह नहीं। उससे जरा सावधान! उसके पास बैठे तो उसके मस्तिष्क से चलती हुई सूक्ष्म तरंगें तुम्हारा मस्तिष्क पकड़ लेगा। और अगर तुम भी हत्या का विचार करने लगो तो कुछ आश्चर्य न होगा। हालांकि तुम यही सोचोगे कि में सोच रहा हूं। इसलिए कहा, सत्संग करना। जहां कोई ज्ञान को उपलब्ध हुआ हो, उसके पास बैठना। वहां तुम्हारी यात्रा सुगम हो जाएगी। जो शुभ विचार कभी तुम्हारे भीतर तरंगें भी नहीं लिए हैं, उसकी मौजूदगी में तरंगें लेने लगेंगे। जो फूल तुम्हारे भीतर कभी खिले ही नहीं, उनकी पखुड़ियां खिलने लगेंगी। कलियां खिलने लगेंगी, फूल बनने लगेंगी। जो किरण तुम्हारे भीतर कभी उठी ही नहीं, सोयी की सोयी ही पड़ी थी, अचानक किसी के संघात में जगकर खड़ी हो जाएगी। सत्संग का अर्थ ही यही है कि किसी ऐसे बलशाली व्यक्ति के पास पहुंच जाना जो जाग गया है, ताकि उसका जागरण तुम्हें झकोरे देने लगे। ताकि उसका जागरण झंझावात बन जाए। ताकि उसका जागरण अलार्म बन जाए और तुम्हारे चारों तरफ बजने लगे। और तुम्हें सोने न दे। और तुम्हारी नींद को तोड़े। और तुम्हें सपनों से जगाए। बुद्ध ने क्या किया होगा? कुछ खास नहीं किया होगा, सिर्फ इतना ही किया होगा, उस युवक की तरफ ध्यान दिया होगा। सिर्फ अपनी आंखें उस युवक की तरफ 13
SR No.002385
Book TitleDhammapada 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages378
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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