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________________ तृष्णा का स्वभाव अतृप्ति है जीवन तो तुम सबको मिला है। तुमने क्या किया इस जीवन का? तुम भी उस आदमी से राजी होओगे कि अगर परमात्मा तुम्हें मिल जाए तो तुम भी उसकी गर्दन पकड़कर कहोगे कि तू जिम्मेवार है, तूने जीवन दिया क्यों? तुमने हमें पैदा क्यों किया? अब हम क्या करें? इधर पैदा कर दिया हमें, अब कहता है शराब भी मत पीओ, वेश्याघर भी मत जाओ, बेईमानी भी मत करो, झूठ भी मत बोलो, ताश भी मत खेलो, सिगरेट भी मत पीओ-एक तो जन्म दे दिया और अब कुछ करो भी मत, तू हमारी फांसी लगा रहा है। तो फिर हम जीएं किसलिए? जीसस उदास गांव में अंदर गए, देखा एक आदमी एक सुंदर स्त्री के पीछे भागा जा रहा है, उसकी आंखों में बड़ी लोलुपता है, बड़ी वासना है। उसे पकड़ा और कहा कि तू यह क्या कर रहा है ? ये आंखें, ये आंखें परमात्मा को देखने के लिए हैं। उस आदमी ने जीसस के पैर छुए और कहा, महाप्रभु, क्षमा करो। लेकिन यह मुझे कहना ही पड़ेगा कि मैं अंधा था और तुम्हीं ने मेरी आंखें ठीक की। अब तुम मुझे यह भी तो बताओ, इन आंखों का करूं क्या? रूप न देखू, सौंदर्य न देखू, तो फिर अंधा ही क्या बुरा था? आखिर आंख का तो मतलब ही यह होता है कि आदमी रूप देखे, सौंदर्य देखे, नहीं तो अंधा होने में क्या बुराई थी? मुझे आंखें क्यों दीं? मैं तो अंधा ही भला था। न दिखता था, न पीड़ा थी। जब से ये आंखें मिल गयी हैं, रूप दिखता है, रूप बुलाता है, अदम्य है उसकी पुकार! और अब इधर आप आ गए! तो मुझे फिर से अंधा बना दो। जीसस तो बहुत हैरान हो गए। वह उदास गांव के बाहर निकल आए। उन्हें तो बड़ी चोट लगी होगी कि यह क्या हुआ? मैंने तो लोगों की सेवा की, करुणा की, और ये लोग क्या कह रहे हैं? __एक आदमी को गांव के बाहर देखा कि फांसी लगाने का इंतजाम कर रहा है एक झाड़ के साथ। उससे पूछा कि भई, यह तू क्या कर रहा है? उसने कहा कि अब दूर रहो, और ध्यान रखना, अगर मैं मर जाऊं तो मुझे जिला मत देना। क्योंकि मैं बुरी तरह ऊब गया हूं। और आप अपना रास्ता लो! इस जीवन में रखा क्या है? यही तो ज्यां पाल सार्च पूछता है कि इस जीवन में रखा क्या है? अर्थ कहां है? यही तो दुनिया के सारे विचारशील लोग पूछते हैं कि इस जीवन में प्रयोजन क्या है? ए टेल टोल्ड बाइ एन ईडियट। किसी मूर्ख के द्वारा कही हुई कथा मालूम होती है। जिसमें कुछ भी अर्थ नहीं मालूम होता। इसे समाप्त क्यों न कर दें। ___ दोस्तोवस्की का एक पात्र दोस्तोवस्की के प्रसिद्ध उपन्यास ब्रदर्स कर्माझोव में चिल्लाकर ईश्वर से कहता है कि यह टिकिट जो तूने मुझे जीवन में प्रवेश के लिए दी थी, अब वापस ले ले। तू है कहां? तू है भी? अगर है तो प्रमाण दे, यह मेरे जीवन के प्रवेश की जो तूने आज्ञा दी थी, इसे वापस ले ले। क्योंकि इस जीवन में कुछ भी नहीं है। 235
SR No.002385
Book TitleDhammapada 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages378
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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