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एस धम्मो सनंतनो
चिकित्सक आता होगा, वह कहता होगा, नहीं, सब ठीक चल रहा है। बस दवा लेते जाएं, कुछ दिन में उठ आएंगे। सब ठीक हो जाने वाला है, कुछ दिन में जल्दी ही अपने पैर पर चलने लगेंगे।
चिकित्सक भी कहता होगा, बेटे भी कहते होंगे, प्रियजन आते होंगे, परिवार के लोग। और सबकी आंखों में इसको दिखायी पड़ता होगा पीला पत्ता, सबकी आंखों में इसको दिखायी पड़ता होगा कि मैं मर रहा हूं, सबके चेहरे कहते होंगे कि अब भाई, बचने की उम्मीद नहीं है-कहते कुछ होंगे, बतलाते कुछ होंगे, लेकिन छिप तो नहीं सकता। फिर इसको खुद भी तो पता चलता होगा, हाथ हिलाना मुश्किल हो गया, सांस लेना मुश्किल हो गया, ऊर्जा रोज-रोज डूबी जाती है।
बुद्ध ने सीधी-सीधी बात कह दी। यह बुद्ध की ईमानदारी उसे छू गयी। मित्र थे, प्रियजन थे, चिकित्सक थे, वे कहते थे-नहीं, बचोगे। बुद्ध ने कहा, बचनावचना सब बकवास। मेरा आशीष भी कुछ काम नहीं आएगा। और ऐसा आशीष मैं देता भी नहीं। और ऐसा आशीष तू मांग भी नहीं। यह मौत तेरे चारों तरफ घेरे खड़ी है; यमदूत मौजूद हैं, डोली तैयार है, किसी भी क्षण बैठ जाना पड़ेगा। अब सोच ले, भीतर प्रतिष्ठित हो जा, ध्यान की किरण को पकड़ ले, वासना को छोड़ दे। उसे यह बात दिख गयी होगी कि मौत चारों तरफ घिरी है। उस मौत के घिराव को देखकर वह बुद्ध के चरणों में झुक गया होगा। समय भी न था स्थगित करने को, पोस्टपोन करने को कि कहे कि कल, कि जरा सोच लूं। __ और मैं तुमसे कहता हूं कि यह घटना बड़ी अर्थपूर्ण है, ऐसी ही दशा प्रत्येक मनुष्य की है। कोई ऐसा ही थोड़े है कि जब आदमी पीला ही पत्ता होता है तब मरता है, हरे पत्ते मर जाते हैं। मौत कुछ बुढ़ापे में ही थोड़े ही आती है, जवानी में आ जाती है। मौत कुछ हिसाब थोड़े ही रखती है, मौत कोई नियम थोड़े ही मानती है, किसी भी घड़ी आ सकती है। तुम भी इसी दशा में हो, जिस दशा में यह स्वर्णकार था। इससे रत्तीभर दशा भिन्न नहीं है। जरूरी नहीं है कि कल भी तुम सभी यहां होओगे। कोई विदा हो सकता है। स्थिति तो वही है। यमदूत ऐसा थोड़े ही है कि कभी आते हैं, वह तुम जब जन्मते हो तभी डोली लेकर साथ आते हैं। वे डोली लिए पास ही बैठे रहते हैं, कब मौका आ जाए कि ले जाएं। कुछ ऐसा थोड़े ही है कि जब जरूरत पड़ेगी तब आएंगे, ऐसे में तो बहुत देर लग जाए। हर आदमी अपने यमदूत अपने साथ ही लेकर पैदा होता है। वह डोली तुम साथ ही लेकर आए हो। तुम्हारी अर्थी बंधी हुई रखी है। देर-अबेर बंध जाएगी।
इसे तुम घटना को ऐसा मत सोचना कि ठीक है, उस बूढ़े आदमी को ही ठीक है, अपने से कुछ इसका संबंध नहीं है। शायद तुम यह भी सोच रहे होओ कि मैं तुमसे यह कहानी क्यों कह रहा हूं? यह तो बूढ़ों को कहनी चाहिए। . तुम भी उसी दशा में हो। एक दिन का पैदा हुआ बच्चा भी उसी दशा में है।
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