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जितनी कामना, उतनी मृत्यु
स्रोतापत्ति-फल शुरुआत है और मोक्ष अंत है। स्रोतापत्ति-फल का अर्थ होता है, स्रोत में उतर गया, धारा में उतर गया। और जो धारा में उतर गया, वह सागर पहुंच ही जाएगा। अब कुछ देर की बात न रही, पहुंचा ही है। नाव छोड़ दी धारा में, धारा तो जा ही रही है सागर की तरफ।
इसे तुम समझना।
इस जगत में ध्यान की धारा बह रही है। उस ध्यान की धारा को ही तुम गंगा समझो, वही गंगा है। उसी में नहाने से तुम पवित्र हो जाओगे। और तो सारी गंगाएं व्यर्थ हैं। एक ध्यान की धारा इस जगत में बह रही है। जो उसमें उतर जाता है, वह धारा उसे समाधि के सागर तक पहुंचा देती है—ले जाती है, खुद ले जाती है, तुम्हें हाथ-पैर भी नहीं चलाना पड़ता।
रामकृष्ण कहते थे, तुम तो अपनी नाव छोड़ दो, उसकी हवाएं तुम्हारे पालों में भर जाएंगी और तुम्हें गंतव्य तक ले जाएंगी।
तुम तो इस नदी में उतर जाओ-बुद्ध कहते थे-बस, यह नदी तो जा ही रही है, यह तुम्हें ले जाएगी। नदी में उतरने की घड़ी स्रोतापत्ति-फल कहलाती है। _वह स्वर्णकार स्रोतापत्ति-फल को पाकर मरा। __ मर गया, उसी घड़ी मर गया, बुद्ध मौजूद थे और मर गया। धन्यभागी था। बुद्ध के सानिध्य में मृत्यु घट जाए तो और क्या धन्यभाग! चाहे जीवनभर भटका हो, लेकिन सांझ उन चरणों में आ गया जिन चरणों में पहुंच जाने से सब मिल जाता है। बुद्ध के चरणों में सिर रखे और मर गया।
बुद्ध के चरणों में जिसका सिर झुका हो और मर जाए-शायद तुम्हें समझ में भी न आए कि इसमें कैसा, क्या धन्यभाग! इसमें बड़ा धन्यभाग। स्रोतापत्ति-फल उत्पन्न हो गया। बुद्ध की धारा में झुक गया, उतर गया। बुद्ध के साथ भांवर पाड़ लीं। बुद्ध के साथ गठबंधन हो गया। बुद्ध की विराट ऊर्जा में यह भी लीन हो गया। इसने जरा भी ना-नुच न की, तर्क-विवाद न किया— फुर्सत भी न थी, समय भी न था। शायद जीवन अभी और होता तो यह सोचता कि कल आऊंगा, सोचूंगा, विचारूंगा। शायद अभी जवान होता तो कहता कि अभी तो जवान हूं, संन्यास तो बुढ़ापे के लिए है, समर्पण तो बुढ़ापे के लिए है। अभी तो बहुत कुछ संसार में करना है, कर लूं तब आऊंगा, जरूर आऊंगा, आपकी बात जंचती है, मगर अभी मेरा समय नहीं आया। लेकिन इसको दिख गया होगा कि बात तो सच है, पत्ता तो पीला हो गया है बिलकुल।
यह झुठला रहा होगा, दिखायी तो खुद भी पड़ता है। कितना झठलाओ तो भी भीतर तो दिखायी पड़ता रहता है। कोई अपने को कितनी देर धोखा दे सकता है? धोखे के बीच में सच उभरता है। इसको भी लगता तो होगा ही। हालांकि इसके बेटे कहते होंगे, नहीं-नहीं, अभी कहां मरना! अभी तो आप बिलकुल स्वस्थ हैं।
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