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जितनी कामना, उतनी मृत्यु
जाएगा। कि रात कितनी ही अंधेरी हो, सुबह आने के करीब है, घबड़ाते क्यों हो?
और जब रात ज्यादा अंधेरी होती है, तो समझो कि सुबह करीब आ रही है। ऐसा समझाए चले जाते हैं हर हाल में तुम टिके रहो, बने रहो, जहां हो जैसे रहो। तुम्हारी मलहम-पट्टी करते रहते हैं। शायद ऐसे संतों से इसका मिलना जीवन में हुआ होगा, उसी आधार पर तो यह बुद्ध से भी इस तरह का आशीष मांगने की भूल कर बैठा। ___चौंका होगा बहुत, निश्चित चौंका होगा। सांत्वना की जगह यह चोट करने वाली बात! यह कठोर सत्य, यह कड़वी बात! लेकिन आदमी हिम्मत का था। चोट घर कर गयी। एक बिजली जैसे कौंध गयी। और इस बिजली की कौंध में उसके जीवन के अंतिम क्षण ज्योतिर्मय हो गए। उसे बात साफ-साफ दिखायी पड़ गयी। दो टूक थी बात। सीधी थी, लाग-लगाव कुछ भी न था, छल-कपट कुछ भी न था, बात में कोई बड़े सिद्धांत का जाल नहीं था, सीधी-सीधी थी। सुनार के समझ में आ सके, ऐसी थी। इसलिए सुनार का उल्लेख भी बुद्ध ने किया था। जैसे किसी ने अंधेरे में अचानक प्रकाश जला दिया हो, मशाल जला दी हो, ऐसी उसे बात साफ दिखायी पड़ गयी।
देखा होगा उसने गौर से तो उसे भी यमदूत दिखायी पड़ गए होंगे। बात तो सच ही थी। कितनी ही कड़वी हो, सच तो थी ही। कितना ही नग्न हो सत्य, झुठलाया नहीं जा सकता था। कायर होता, कमजोर होता, तो शायद झुठला देता। कहता अपने बेटों से कि किसको लिवा लाए हो? अरे, किसी संत को लाओ! यह किस तरह के आदमी को लिवा लाए? मैं मर रहा हूं, मैं चाहता हूं कि थोड़ी सी कोई शांति मुझे दे, समझाए, और यह आदमी और जो कुछ थोड़ी-बहुत शांति है वह भी छीने ले रहा है। यह मेरे पैर के नीचे की जमीन खिसकाए ले रहा है, किसको यहां ले आए हो? लेकिन आदमी हिम्मत का रहा होगा। उसने बात को हटाया नहीं, जाने दिया हृदय में काटती थी, दुखती थी, पीड़ा होती थी, लेकिन बात जाने दी। एक बिजली की भांति उसके अंतिम क्षण ज्योतिर्मय हो गए। ___ सांत्वना देते भी नहीं संत, उसे उस क्षण दिखायी पड़ा। संत तो वही जो सत्य देता है, उसे उस क्षण दिखायी पड़ा। फिर चाहे कितना भी कड़वा क्यों न हो-और दवाएं कड़वी होती ही हैं। उसे यह बात समझ में पड़ी, दवाएं लेता भी रहा होगा, बीमार था, वर्षों से खाट पर लगा था, तो उसे खयाल में आया होगा-दवाएं कड़वी होती भी हैं।
वह स्वर्णकार स्रोतापत्ति-फल को पाकर मरा। वह धन्यभागी था।
बुद्ध जैसा वैद्य जीवन के अंतिम क्षण में भी मिल जाए तो बड़ा धन्यभाग है। स्रोतापत्ति-फल को पाकर मरा। वह ध्यान की धारा में प्रविष्ट हो गया। यह एक चौंकाने वाली बात, यह एक चोट तलवार की, जैसे उसके मोह के जाल को काट
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