________________
धर्म अनुभव है
आनंद भरकर मनुष्य को दिया और कहा, इसे पीओ और मस्ती में भूल जाओ। केवल आज का दिन ही सही है, अतीत और भविष्य दोनों को भूल जाओ। भगवान ने मिट्टी के प्याले में शोक भरकर मनुष्य को दिया और कहा, इसे पीओ और आनंद का अर्थ समझो। अंत में सबकी किस्मत में आंसू लिखा है, दुनिया में जो भी चाक-चिक है
उसे व्यर्थ समझो। सुख भी है संसार में, दुख भी है संसार में। सुख सोने के प्याले में दिया भगवान ने कि पीओ और मस्ती में भूल जाओ। और फिर दुख मिट्टी के प्याले में दिया और कहा, इसे पीओ और आनंद का अर्थ समझो।
अंत में सबकी किस्मत में आंसू लिखा है, दुनिया में जो भी चाक-चिक है
उसे व्यर्थ समझो। सुख दे रहा है संसार, साथ में दुख। क्योंकि दुख के स्वाद के साथ ही सुख का स्वाद समझ में आएगा। और जब तुम समझने में कुशल हो जाओगे तो तुम देखोगे-हर सुख के साथ दुख जुड़ा है। और हर सोने की प्याली के पीछे मिट्टी की प्याली आ रही है। और हर दिन के साथ रात बंधी है। और हर जन्म के साथ मौत की गांठ पड़ी है। जिस दिन तुम्हें यह दिखायी पड़ेगा कि यहां हर सुख दुख को छिपाए हुए आ रहा है, उस दिन तुम दोनों के बाहर हो जाओगे। दोनों के बाहर होने का उपाय साक्षीभाव है।
दुख हो, उसे भी देख लो; सुख हो, उसे भी देख लो; और यह जानते रहो कि मैं दोनों में कोई भी नहीं हूं। मैं पार हूं, मैं अलग हूं, मैं भिन्न हूं। इस भिन्न के बोध में ही तुम्हारे जीवन में आनंद उतरेगा। आनंद सुख-दुख के पार है। और इस भिन्नता के बोध में ही तुम्हारे जीवन में उत्सव आएगा।
उत्सव अभी हो रहा है। ऐसा नहीं है कि कोई साज सजना है, संगीतज्ञ आने हैं,
187