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एस धम्मो सनंतनो
प्रतिबिंब बनकर खड़ी हो गयी।
सच तो यह है कि इस स्त्री ने इस घटना को देखने के पहले ही उस पड़ोसी स्त्री पर शक करना शुरू कर दिया होगा। चाहे वह शक स्पष्ट न रहा हो, धुंधला-धुंधला रहा हो, क्योंकि उस शक के बिना यह सपना नहीं आ सकता था। अब यह कहती उलटी बात है। यह कहती है कि सपने से मुझे पता चला। लेकिन बात ऐसी हो नहीं सकती। सपने के पहले इसके मन में शक रहा होगा। हो सकता है स्त्री पर शक न रहा हो, तो पति पर शक रहा होगा। शक रहा होगा। उस शक ने ही सपने का रूप लिया है। एक संदेह रहा होगा, वही संदेह मूर्तिमान होकर खड़ा हो गया है। ___ अब ईर्ष्या में जल रही है। अभी इसे भी पक्का नहीं है कि सच में कोई संबंध है पति का। संबंध हो तो भी ईर्ष्या का क्या कारण है! कौन किसका पति है और किसकी पत्नी है! और ईर्ष्या के कारण तुम जलते हो, तुम दुख पाते हो। दुख पाने का तय कर लिया हो तो ठीक। ईर्ष्या को खूब पानी दो, सींचो, संवारो।
यह तो मैंने एक उदाहरण की बात कही। लोग हैं, प्रतिस्पर्धा के कारण दुख पा रहे हैं। कोई अहंकार के कारण दुख पा रहा है। कोई निर्धनता के कारण दुख पा रहा है। लेकिन इन सबके दुख के कारण तुम्हारे भीतर हैं। तुम धन चाहते हो, इसलिए निर्धनता में दुख है। तुम सम्मान चाहते हो, सम्मान नहीं मिलता, इसलिए दुख है। तुम अहंकार को फैलाकर दुनिया में कुछ सिद्ध करना चाहते हो, दुनिया सिद्ध नहीं करने देती है, तो दुख है। दुख कोई दूसरा पैदा नहीं कर रहा है। दुख तुम्हारे स्वनिर्मित हैं। और यह अच्छा है कि स्वनिर्मित हैं, क्योंकि इसी में वह राज छिपा है-तुम चाहो तो इनके बाहर अभी आ सकते हो। और मैं कहता हूं, अभी! मैं यह भी नहीं कहता कि कल या कभी। इसी क्षण तुम सारे दुख के बाहर आ सकते हो। अगर तुम एक क्षण की भी देर कर रहे हो तो उसका मतलब सिर्फ इतना ही है कि तुम्हारा दुखों से लगाव हो गया है, तुम उन्हें छोड़ना नहीं चाहते।
ऐसे ही जैसे एक आदमी अंगारा हाथ में रखे हो और चिल्लाता हो कि मैं इस अंगारे को कैसे छोडूं? ऐसी तुम्हारी दशा है। तुम उससे क्या कहोगे कि पागल, अगर अंगारा जला रहा है तो छोड़ने में देर क्या है ? अंगारा तुझे नहीं पकड़ सकता, तूने ही अंगारे को पकड़ा है। तो तू एक तरफ जल भी रहा है, इसलिए दुख भी हो रहा है, तू बचना भी चाहता है; और अंगारे में कुछ लगाव भी है, तो तू छोड़ता भी नहीं। ऐसा द्वंद्व है।
दुख में हमारा कुछ रस है। उसे हम छोड़ते भी नहीं। और दुख दुख दे रहा है, इस कारण छोड़ना भी चाहते हैं। इसलिए जाते भी हैं और पूछते भी हैं कि दुख से छुटकारा कैसे हो?
भगवान ने सोने के प्याले में
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