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________________ धर्म अनुभव है एक रात उसे सपना आया। वह स्वर्ग में पहुंच गया था। वहां उसे छोटे-छोटे बाल देवदूतों का एक जुलूस दिखायी दिया। एक श्वेत सिंहासन के पास से उनकी अंतहीन पंक्ति चलती जा रही थी। सफेद चोला पहने हुए हर एक बाल देवदूत के पास जलती हुई मोमबत्ती थी। परंतु उसने देखा कि एक बच्चे के हाथ की मोमबत्ती बिना जलायी हुई है-हर एक बाल देवदूत एक मोमबत्ती को हाथ में लिए चल रहा है, सफेद वस्त्र पहने एक अंतहीन पंक्ति गुजर रही है लेकिन एक देवदूत के हाथ में बत्ती बुझी हुई है। फिर उसने देखा कि प्रकाशहीन मोमबत्ती वाली वह बालिका तो उसी की बिटिया है। वह उसकी ओर लपका। जुलूस थम गया, उसने बालिका को बाहों में भर लिया, प्यार से उसको सहलाया और पूछा, बेटी, सिर्फ तुम्हारी ही मोमबत्ती क्यों बुझी हुई है? पिताजी ये लोग तो इसे बार-बार जलाते हैं, पर आपके आंसू इसे बार-बार बुझा देते हैं। ___ और तभी आदमी की नींद टूट गयी। संदेश स्पष्ट था, उसका उस पर गहरा प्रभाव पड़ा। उस दिन से वह एकांत की कैद से निकलकर, फिर से आनंदपूर्वक पहले की तरह अपने पुराने मित्रों, संबंधियों से मिलने-जुलने लगा। अब उसकी लाड़ली बिटिया की मोमबत्ती उसके व्यर्थ आंसुओं से बुझती नहीं थी। सपना है। सपना तुम्हारा है। सपना इशारा देता है। सपना तुम्हारे अचेतन से उठता है। इस आदमी ने यह सपना देखा। ऐसा नहीं है कि यह कहीं कोई सच में स्वर्ग पहुंच गया, कि वहां इसकी बिटिया इसको दिखायी पड़ गयी बुझी मोमबत्ती ले जाती हुई। लेकिन इसके अचेतन ने इसे खबर दी कि तुम मूढ़ता कर रहे हो, तुम व्यर्थ की मूढ़ता कर रहे हो, इसमें कुछ सार नहीं है। ये आंसू अब कब तक रोते रहोगे? इसके अचेतन ने एक संकेत भेजा। यह सपना इसी का संकेत है कि तुम्हारे आंसू गिर रहे तुम्हारी लड़की की मोमबत्ती पर, उसकी रोशनी बुझ-बुझ जाती है, अब यह बंद करो। क्योंकि तुम दुखी हो, तो तुमने जिससे प्रेम किया है वह दुखी होगा। तुम दुखी हो तो तुम सारे जगत को दुख में उतार रहे हो। तुम दुख की सीढ़ी बन रहे हो। इसको बात खयाल में आ गयी। फिर जीना उसने शुरू किया, फिर अपने को फैलाया, फिर रोशनी में आया, फिर फूल देखे, फिर चांद-तारे देखे, फिर नाचा होगा, फिर गीत गाया होगा, फिर मित्रों से मिला, फिर संबंध-सेतु बनाए, फिर जीने लगा। वह जो कब्र थी, उसके बाहर आ गया। इशारा काम कर गया। तुम्हारे स्वप्न तुम्हारे अचेतन में चलती हुई उधेड़बुन की खबरें हैं। अब इस स्त्री ने सपना देखा कि एक स्त्री दिखायी पड़ती है-सपना ही है वह, क्योंकि ध्यान में इस तरह की बातें कैसे दिखायी पड़ सकती हैं! झपकी खा रही होगी ध्यान में बैठकर। ध्यान में कहीं स्त्रियां दिखायी पड़ेंगी। मगर उसने सोचा कि उसने बड़ी भारी बात खोज ली है। अगर थोड़ी समझदारी से समझे तो उसका मतलब यह है कि मन ने उसे कहा कि तेरे भीतर बहुत ईर्ष्या पड़ी है। वही ईर्ष्या ही स्त्री का 185
SR No.002385
Book TitleDhammapada 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages378
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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