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________________ एस धम्मो सनंतनो हर घड़ी डूबने लगा था कुछ और इस खामोश मुहब्बत ने कभी सुकून से हमें जीने न दिया हंसकर जब भी कभी देखा तुमने दिल की बेचैनी बढ़ गयी कुछ और बड़ा एहसान तुमने मुझ पर किया तड़पते दिल को सहारा देकर कबूल करके यह खामोश सदा बढ़ाया प्यार मेरी राहों में कुछ और आ गया नूर जर्रे-जर्रे पर । सितारे भी चमक उठे हैं कुछ और रोशनी चांद की भी बढ़ गयी है। महककर फूल कुछ इठलाए हैं और यह तो साधारण प्रेम की बात। यह तो उस प्रेम की बात जो दो मनुष्यों के बीच घट जाता है। उस प्रेम की तो बात ही क्या कहें, जो मनुष्य और समस्त के बीच घटता है। मैं उसी प्रेम की बात कर रहा हूं। दो मनुष्यों के बीच जो घटता है, यह तो दो बूंदों का मिलन है। और मनुष्य और अनंत के बीच जो घटता है, वह बूंद का सागर से मिलन है। दो बूंदें मिलकर भी तो बहुत बड़ी नहीं हो पातीं। तुमने देखा, कभी-कभी कमल के पत्ते पर दो ओस की बूंदें सरककर एक हो जाती हैं, तो भी बूंद तो बूंद ही रहती है। एक बूंद बन गयी दो की जगह, कोई बड़ा विराट तो नहीं घट जाता। थोड़ी सीमा बड़ी हो जाती है। तुम थोड़े आधे-आधे थे, प्रेमी से मिलकर तुम थोड़े-थोड़े पूरे हो जाते हो। तुम अकेले-अकेले थे, प्रेमी से मिलकर तुम अकेले नहीं रह जाते। प्रेम का मार्ग प्रार्थना का मार्ग। तुम देखो, हिंदू हैं, तो सीता-राम की साथ-साथ मूर्ति बनायी है, कि राधा-कृष्ण की, कि शिव-पार्वती की। ये प्रतीक हैं ये मूर्तियां। प्रतीक हैं इस बात की कि जो प्रेम मनुष्य और मनुष्य के बीच घटता है, उसी प्रेम को फैलाना है। उसी प्रेम को इतना बड़ा करना है कि मनुष्य और अनंत के बीच घट जाए। ध्यान के मार्ग पर इसकी जरूरत नहीं होती। इसलिए महावीर अकेले खड़े हैं, इसलिए बुद्ध अकेले बैठे हैं। ध्यान के मार्ग पर दूसरे की जरूरत नहीं है। प्रेम के मार्ग पर दूसरे की जरूरत है। प्रेम तो दूसरे के बिना फलित ही न हो सकेगा। इसलिए ध्यान के मार्ग पर परमात्मा की धारणा की भी जरूरत नहीं है। लेकिन प्रेम के मार्ग पर तो परमात्मा की धारणा अनिवार्य है, अपरिहार्य है। . तो जब मैं तुमसे कहता हूं, प्रेम परमात्मा है, तो मैं भक्त की भाषा बोल रहा हूं। तुम्हें जो रुच जाए, तुम्हें जो ठीक पड़ जाए। अगर तुम्हें ऐसा लगता हो कि प्रेम में 172
SR No.002385
Book TitleDhammapada 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages378
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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