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धर्म अनुभव है
जीसस का एक शिष्य उनसे पूछता है कि कोई आदमी हमारी हानि करे, आप कहते हैं, क्षमा कर दो, कितनी बार? ठीक बात पूछी। कितनी बार क्षमा कर दो? तो जीसस ने सोचा, इसके पहले कि जीसस कुछ कहें उस आदमी ने कहा, सात बार करना ठीक होगा? जीसस ने कहा कि नहीं, सात से काम नहीं चलेगा। तो उस आदमी ने कहा, सतहत्तर बार करना ठीक होगा क्या? जीसस ने कहा, नहीं, यह भी कम पड़ेगा। तो उस आदमी ने कहा, आपका क्या मतलब, सात सौ सत्तर बार? तब जीसस को भी खयाल में आया होगा कि सात सौ सत्तर बार भी क्षमा करने के बाद स्थिति तो बच रहती है! फिर सात सौ इकहत्तरवीं बार क्या होगा?
तुम कितनी ही व्यवस्था तय कर दो, व्यवस्था चुक जाएगी। एक सीमा आएगी जहां व्यवस्था चुक जाएगी; फिर तुम क्या करोगे?
दूसरों की मानकर चलोगे तो सदा झंझट में पड़ोगे। तुम्हें चाहिए अपनी आंख, तुम्हें चाहिए अपना बोध। यह जो आदमी पूछ रहा है, कितनी बार क्षमा करें, यह क्षमा का सूत्र ही नहीं समझा। क्योंकि क्षमा का अर्थ अगर समझ गया हो, तो कितनी बार पूछने की बात ही गलत है। कितनी बार का तो मतलब यह हुआ कि एक सीमा के बाद अक्षमा आ जाएगी। सात बार क्षमा कर दिया तो आठवीं बार फिर बदला लेगा।
और हो सकता है आठवीं बार सातों बार का इकट्ठा बदला ले, क्योंकि यह आदमी क्षमा करने का सूत्र समझा ही नहीं। यह पूछ रहा है, कितनी बार? आखिर हर चीज की सीमा होती है! क्षमा की कोई सीमा नहीं हो सकती। जीसस ने कहा है कि ठीक, सात सौ सत्तर बार। लेकिन मैं तुमसे कहूंगा, सात सौ सत्तर बार से भी हल न होगा। तुम बहुत बेईमान हो। तुम सात सौ इकहत्तरवीं बार में सारा बदला ले लोगे। ___ जीसस ने सोचा होगा कि सात सौ सत्तर बहुत हो गया, अब और इसके आगे क्या ले जाना! लेकिन आदमी की बेईमानी बहुत बड़ी है। आदमी की बेईमानी अनंत है। तुम्हारा क्रोध अनंत है, तुम्हारी घृणा अनंत है। तुम्हारे रोगों की कोई सीमा नहीं है। इसलिए मैं नियतकर्म में उत्सुक नहीं हूं। मैं तुमसे यह नहीं कहता कि ऐसा करो। कि पांच बजे सुबह उठो। मैं तुमसे कहता हूं कि नींद जब पूरी हो जाए और तुम स्वस्थ हो गए और नींद का काम पूरा हो गया तो उठो! अगर पांच बजे पूरा हो गया तो पांच बजे, और अगर चार बजे पूरा हो गया हो तो चार बजे, और कभी किसी दिन अगर देर से सोए हो और छह बजे पूरा हो, तो छह बजे।
मैं मेरे गांव के पास एक रईस को जानता था। एक छोटे से इलाके के राजा थे वह। खूबी के आदमी थे। रातभर तो वह नाच-गाने में रहते थे-शराब पीना, नाच-गाना-और दिनभर सोते थे। तो उनके डाक्टर ने, बीमार पड़े तो डाक्टर ने कहा-अंग्रेज डाक्टर-उसने कहा कि आप ऐसा करिए कि अब आपको थोड़ा जल्दी सुबह उठना पड़ेगा, यह रात का राग-रंग बंद करिए। सुबह ठीक छह बजे तो उठना ही है, नहीं तो आपका स्वास्थ्य ठीक नहीं हो सकता। यह दिनभर पड़े रहना
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