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________________ एस धम्मो सनंतनो लगने का लक्षण, अर्थ यही कि तुम्हारे भीतर अहंकार का घाव बहुत गहरा है, जरा सी बात भी अखर जाती है। अगर तुम्हारे मन में सम्मान की इच्छा है और अपमान से बचने का भाव है, तो तुम अहंकार का पोषण कर रहे हो। फिर इन क्रोध और अहंकार के बीच में उसे छवि रोग हो गया। चेहरा विकृत हो गया। मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि चमड़ी के रोग तो निन्यानबे प्रतिशत मानसिक होते हैं। सभी रोग नब्बे प्रतिशत मानसिक होते हैं, लेकिन चमड़ी के रोग तो निन्यानबे प्रतिशत मानसिक होते हैं। क्योंकि चमड़ी बड़ी संवेदनशील है। और चमड़ी हमारी सबसे बड़ी इंद्रिय है। ___ कान छोटा सा है। कान पर चोट करनी हो तो निशाना ठीक-ठीक लगाना पड़े तो ही चोट होगी। आंख छोटी सी है। आंख पर चोट करनी हो तो निशाना ठीक लगना चाहिए। जीभ भी छोटी सी है। लेकिन चमड़ी तुम्हारे पूरे शरीर को घेरे हुए है, यह तुम्हारी सबसे बड़ी इंद्रिय है। स्पर्श की इंद्रिय सबसे बड़ी इंद्रिय है। इस पर चोट बड़ी आसानी से लग सकती है, निशाना लगाने की जरूरत ही नहीं है। __इसलिए मन की चोटें आंख पर भी लगती हैं, कान पर भी लगती हैं, जीभ पर भी लगती हैं, लेकिन इनकी मात्रा बहुत छोटी-छोटी है। लेकिन शरीर की चमड़ी का फैलाव बहुत है। उस फैलाव के कारण चमड़ी पर सर्वाधिक मन की चोटें पड़ती हैं। और चमड़ी का कोई भी रोग किसी इलाज से ठीक नहीं होता। लेकिन मानसिक इलाज से ठीक होता है। ___ चमड़ी इस अर्थ में भी विचारणीय है कि तुम्हारी और जो इंद्रियां हैं, वे चमड़ी के ही विशिष्ट रूप हैं। कान है क्या? चमड़ी का ही एक विशिष्ट रूप है। और आंख है क्या? आंख भी चमड़ी का ही एक विशिष्ट रूप है। चमड़ी ने ही अपने एक हिस्से को देखने में कुशल बना लिया है, वह आंख हो गयी है। और चमड़ी ने ही एक दूसरे हिस्से को स्वाद लेने में कुशल बना लिया है, वह तुम्हारी जीभ हो गयी है। और चमड़ी ने ही एक दूसरे हिस्से को विशेषज्ञ बना लिया है, नाक हो गयी तुम्हारी, सुगंध के लिए विशेषज्ञ। ये एक्सपर्ट हैं, ये चमड़ी की विशेषताएं हैं। लेकिन हैं सब चमड़ी के ही खेल। बच्चा जब पहली दफा पैदा होता है मां के पेट में बढ़ता है, तो पहले तो चमड़ी आती है। फिर चमड़ी में ही धीरे-धीरे आंख उभरती, फिर चमड़ी में ही धीरे-धीरे कान उभरता, फिर चमड़ी में ही जननेंद्रिय उभरती, फिर चमड़ी में ही जीभ, नाक, सब उभरते जाते। लेकिन सबसे पहले तो चमड़ी होती। तो चमड़ी बहुत मूल है। और इसीलिए स्पर्श बड़ा महत्वपूर्ण है। __इसीलिए जब हम किसी के प्रेम में पड़ते हैं तो तत्क्षण स्पर्श करना चाहते हैं, हाथ में हाथ लेना चाहते हैं, गले से गले लगाना चाहते हैं, आलिंगन करना चाहते हैं। जब हम किसी के प्रेम में पड़ते हैं तब हम स्पर्श करना चाहते हैं। और जिससे 134
SR No.002385
Book TitleDhammapada 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages378
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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