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तुम तुम हो कुरूप से कुरूप स्त्री को भी कह दो कि तुम सुंदर हो तो वह भी इनकार नहीं करेगी। वस्तुतः वह कहेगी कि तुम्हीं पहली दफे पारखी मिले, अब तक कोई पहचान ही न पाया। मैं तो जानती ही थी, लेकिन पारखी चाहिए न! हीरे तो पारखी होते तो पहचानते। तुम बुद्ध से बुद्ध आदमी से कह दो कि तुम बुद्धिमान हो, बड़े बुद्धिमान हो, तो वह भी नहीं कहता कि देखो, नाहक चापलूसी मत करो; मैं तो बुद्ध हूं। वह भी नहीं कहेगा। पागल से पागल को कह दो कि तुम जैसा जागरूक, शांत चित्त आदमी और कहां है? वह भी अंगीकार करता है। ___ अहंकार के अनुकूल जो पड़ता है, वह हम स्वीकार करते हैं। और अहंकार को जो भरता है, उसको हम मित्र कहते हैं- यद्यपि वह है तो शत्रु। क्योंकि वह तुम्हें उस जगह ले जा रहा है जहां से तुम बुरी तरह गिरोगे। जहां से ऐसे गिरोगे कि फिर सम्हलना मुश्किल हो जाएगा। वह तुम्हें ऐसी जगह उठा रहा है जहां से गिरना सुनिश्चित है। अहंकार पर कोई भी थिर होकर रह नहीं सकता। वह जगह बारीक है, तुम्हें सम्हाल न पाएगी, वहां से तुम गिरोगे ही। और आज जितने अहंकार से तुम्हारी तृप्ति हुई है, कल और तुम मांगोगे, और ज्यादा, और ज्यादा। आखिर कब तक यह होगा? एक घड़ी आएगी कि तुम अपने ही अतिशय से गिरोगे, बुरी चोट खाओगे।
जो जितने ऊपर अहंकार की चोटी पर चढ़ेगा, उतनी ही बड़ी खाई में गिरने का खतरा मोल ले रहा है। आज नहीं कल, कल नहीं परसों, गिरती आने वाली है। और तुम चकित होओगे कि जिन्होंने प्रशंसा की थी, वे ही निंदा में मुखर हो जाते हैं। वे बदला लेंगे। जब प्रशंसा की थी तब भी बेमन से की थी, तब भी करनी पड़ी थी, कोई प्रयोजन था इसलिए की थी, तुमसे कुछ लाभ था, तुमसे कुछ निकालना था इसलिए की थी। बदला तो लेंगे।
कोई भी प्रशंसा प्रशंसा की तरह थोड़े ही करता है, उसका कोई प्रयोजन है, उसे तुम्हारा शोषण करना है। उसका काम निपट जाएगा तो वही बदला लेगा। जिसने तुम्हें आकर खूब आल्हादित किया था, वही तुम्हें गालियां देगा। तब दिल को और भी चोट लगेगी। अपने ही पराए हो गए, ऐसा लगेगा। मित्र शत्रु हो गए, ऐसा लगेगा। और कहावतें कहती हैं दुनिया की कि जिसके साथ नेकी करो वही बदी करता है।
नेकी इत्यादि तुमने की भी नहीं है। उसने तुम्हारी प्रशंसा की थी, तुमने कुछ उस प्रशंसा के कारण कर दिया था, वह नेकी नहीं थी। वह सिर्फ सौदा था। और उस आदमी को तुम्हारी प्रशंसा करनी पड़ी थी, तुम्हारे सामने झुकना पड़ा था, इसलिए वह तुम्हें कभी क्षमा तो कर नहीं सकेगा। वह इसका बदला तो लेगा। जब भी अवसर आ जाएगा, ठीक समय होगा, वह बदला लेगा। ___ तो रोहिणी को रूप का दंभ था। रूप के दंभ के कारण बहुत चोटें लगी होंगी, क्रोधित होती थी। अगर तुम्हें चोटें लगती हों तो एक बात खयाल में ले लेना, चोट
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