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________________ एस धम्मो सनंतनो ऐसा कहते हैं, बीस साल तक बोकोजू ने चांटे खाए । और आखिरी बार जब वह आया, तो पता है कैसे उसने धन्यवाद दिया! आकर एक चांटा अपने गुरु को जड़ दिया। गुरु खूब हंसा । कहते हैं, गुरु लोटा, प्रसन्नता में लोटा । उसने कहा, तो हो गया आज ! तो धन्यवाद कैसा होगा, कहना मुश्किल है। यह ठीक धन्यवाद था, बीस साल चांटे खाने के बाद आज कुछ कहने को था भी नहीं । झेन परंपरा अनूठी है। फकीरों की सारी परंपराएं अनूठी हैं। मैं एक झेन फकीर के संस्मरण पढ़ रहा था। वह फकीर अमरीका गया हुआ था और वहां एक हिंदू संन्यासी से निमंत्रण मिला कि मुझे मिलने आओ। पढ़कर मुझे ऐसा लगा कि हिंदू संन्यासी और कोई नहीं, बाबा मुक्तानंद होने चाहिए। नाम उसने नहीं लिखा है, लेकिन हुलिया और ढंग जो वर्णन किया है, वह मुक्तानंद का है। और यह भी लिखा है कि वह अंग्रेजी नहीं बोलते हैं। मुक्तानंद ने बुलाया होगा । निमंत्रण दिया फकीर को आने को, वह फकीर आया। तो मुक्तानंद बैठे एक ऊंचे सिंहासन पर, और उसके नीचे एक आसनी बिछा दी फकीर के लिए। मुझे लगा कि मुक्तानंद ही होने चाहिए, क्योंकि मेरे साथ भी उन्होंने यही किया । मुझे भी बहुत निमंत्रण दे-देकर बुलाया। और जब मैं गया तो वह एक आसन पर बैठे और एक आसनी नीचे रख दी उन्होंने बैठने के लिए। फकीर बैठ गया । मुक्तानंद ने कुछ मिठाई फकीर को भेंट की। तो फकीर के साथ एक शिष्य आया था, उसने कहा कि नहीं, वह मिठाई नहीं लेंगे, उन्हें डायबिटीज है। तो मुक्तानंद ने कहा कि डायबिटीज ! तो तीन मील सुबह पैदल चलो, आसन - व्यायाम करो, तो ठीक हो जाएगी। अब यह बिलकुल अंधेपन का सबूत है। क्योंकि आदमी जो सामने बैठा है वह परमदशा में है । उसको यह बताना कि तीन मील पैदल चलो, आसन - व्यायाम करो, योगासन सीख लो - मूढ़ता का लक्षण है । वह फकीर हंसा, उसने कहा, डायबिटीज बड़ी प्यारी है। भगवान की देन है। यह सब अनुवाद किया जा रहा है। एक मुक्तानंद की शिष्या अनुवाद कर रही | मुक्तानंद हिंदी में बोल रहे हैं, अंग्रेजी में अनुवाद किया जा रहा है। और वह जो फकीर अंग्रेजी में बोल रहा है, वह हिंदी में अनुवाद किया जा रहा है। तब मुक्तानंद ने कहा, कोई जिज्ञासा ? अब एक तो उसको बुलाया खुद, और अब उससे पूछते हैं, जिज्ञासा ? कुछ पूछो। कोई प्रश्न वगैरह हों तो वह हल कर दें। तो उस फकीर ने झेन ढंग से कहा कि ईश्वर है या नहीं? अगर कहा, है, तो एक तमाचा मारूंगा, और अगर कहा, नहीं है, तो भी एक तमाचा मारूंगा, बोलो ? वह जो अनुवाद कर रही थी महिला, वह तो बहुत घबड़ा गयी कि यह कोई बातचीत है। 114
SR No.002385
Book TitleDhammapada 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages378
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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