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जगत का अपरतम संबंध : गुरु-शिष्य के बीच गए। और जब वह आया तो उसे भोजन करवाया गया और कुछ रुपयों को भी उस धनपति ने उसे दिया और कहा कि जाओ! ___ यह बात तो गांवभर में फैल गयी। दो आदमियों ने सोचा, यह तो बड़े गजब की बात है। वे दोनों भी आकर दरवाजे पर खड़े होकर पीठ खुजलाने लगे। धनपति ने देखा, उसने अपने आदमी भेजे और कहा कि दोनों को जंजीरें डालकर मेरे सामने ले आओ। उन दोनों को जंजीरें डालकर ले आया गया, वे दोनों चिल्लाने लगे कि बात क्या है, क्योंकि अभी-अभी तो व्यवहार कुछ और किया गया था! हमारे हाथों में जंजीरें क्यों डाली जा रही हैं? वे घसीटकर लाए गए और उस धनपति ने कहा कि यहां से भाग जाओ और कभी दबारा यहां मत आना। क्योंकि वह अकेला था और अब उसकी पीठ में खुजान उठी थी तो वह खुजा भी नहीं सकता था, तुम तो दो हो, एक-दूसरे की पीठ क्यों नहीं खुजला लेते? तुम्हें इतनी तो अकल होनी चाहिए। अब भाग जाओ, और कभी दुबारा इस तरफ मत आना। ___ अक्सर ऐसा होता है। महावीर को ज्ञान हुआ, वे नग्न खड़े हो गए। बहुतों को लगा कि नग्न खड़े होने से ज्ञान हो जाता है, तो बहुत अभी तक दरवाजों पर पीठ खुजला रहे हैं, वे नग्न खड़े हो गए हैं। नग्न खड़े होने से ही जैन-दिगंबर जैन, दूसरा कोई नहीं, श्वेतांबर जैन भी नहीं-दिगंबर जैन पूजता है, क्योंकि वह मानता है, नग्नता संत का लक्षण है। महावीर नग्न हुए थे, तो उसने संत की परिभाषा कर ली। जैसे महावीर पर संत की परिभाषा चुक जाती है! __संत की परिभाषा चुकती ही नहीं। और संत कभी दो एक जैसे हुए नहीं और होंगे भी नहीं। क्योंकि जब कोई व्यक्ति संतत्व के शिखर को उपलब्ध होता है तो अद्वितीय हो जाता है-अकेला, बेजोड़। उस जैसा फिर कभी दुबारा दूसरा आदमी नहीं होगा। इसका यह अर्थ नहीं कि कोई संत न होगा, संत होंगे, लेकिन फिर अपने जैसे होंगे। सब संत अनूठे होते हैं। बस एक संत एक बार एक जैसा होता है, दुबारा फिर नहीं होता है। . तो हजारों लोग नग्न होकर खड़े हैं। उनमें कुछ भी नहीं हैं। लेकिन दिगंबर उनको पूजेगा, क्योंकि उसके संतत्व की परिभाषा में नग्नता जुड़ गयी। इसलिए दिगंबर जैन किसी और को नहीं पूज सकता जो कपड़े पहने हो। क्योंकि कपड़े पहने हुए तो संत हो ही नहीं सकता। दिगंबर जैन के सामने तुम मोहम्मद को खड़ा करो, वह कहेगा कि हजरत, अभी भी कपड़े पहने हुए हो! अभी तक कपड़े पहने हुए, तो ज्ञान हुआ ही नहीं! क्योंकि महावीर को जब ज्ञान हुआ तो कपड़े छोड़ गए। आप अभी तक कपड़े पहने हुए हैं! यह बात जैन को नहीं जंचेगी। वह मोहम्मद को तो मान ही नहीं सकता। ___ मेरी एक किताब एक जैन मुनि को भेंट की गयी। जिन मित्र ने भेंट की, उन्होंने मुझे आकर बताया कि बड़ी अजीब बात हो गयी। उन्होंने किताब पलटकर देखी,
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