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एस धम्मो सनंतनो
उन्होंने कहा और तो सब ठीक है, इसमें मोहम्मद का नाम कैसे आया? किताब फेंक दी। किताब महावीर पर थी, किताब फेंक दी, क्योंकि उसमें मोहम्मद का नाम कैसे आया। कहां महावीर और कहां मोहम्मद! उनको यह बर्दाश्त के बाहर हो गया कि मोहम्मद का नाम महावीर के साथ आए। और मेरी तो आदत खराब है, मैं तो जोड़ ही देता हूं! __ उनको यह बात बिलकुल जंची नहीं। मोहम्मद सांसारिक आदमी, गृहस्थ! अब अगर तुम जैनी के हिसाब से सोचो तो लगेगा भी—कितनी पत्नियां मोहम्मद की? दिगंबर जैन तो महावीर की एक पत्नी थी, उसको भी इनकार करते हैं। महावीर की सच में एक पत्नी थी और एक लड़की भी हुई और दामाद भी था, ये ऐतिहासिक तथ्य हैं, लेकिन दिगंबर जैन अपनी किताबों में लिखते हैं कि उन्होंने कभी विवाह नहीं किया। क्योंकि यह बात ही उनको अखरती है कि महावीर और विवाह करें! हालांकि अज्ञान की अवस्था में कर लें तो हर्ज क्या है! फिर ज्ञानी तो बाद में हुए। मगर वे मानते हैं कि यह तो हो ही नहीं सकता। महावीर तो अज्ञान की अवस्था में भी इतनी ऊंचाई पर थे कि वह विवाह तो कर ही नहीं सकते हैं। इसलिए हुए विवाह को भी इनकार कर दिया है। लड़की पैदा हुई, यह तो मान ही नहीं सकते हैं। क्योंकि लड़की पैदा हुई तो उसका मतलब हुआ, उन्होंने संभोग किया होगा। महावीर और संभोग करें। जरा सोचो! यह बात जंचती नहीं। तो दिगंबर जैन ने यह बात ही जड़ से काट दी कि विवाह ही नहीं किया। न रहा बांस न बजेगी बांसुरी।
अब इधर मोहम्मद हैं, नौ विवाह किए। यह बात जरा जंचती नहीं। लेकिन मोहम्मद की तरफ से सोचो, मोहम्मद को सीधा सोचो, तो मोहम्मद ने नौ विवाह किए और इस किसी विवाह में कोई कामवासना नहीं है। अरब देश लड़ाके देश थे। आदमी तो लड़ते और कट जाते; और स्त्रियों की संख्या बढ़ती चली गयी; पुरुष कम होते चले गए। जिस समाज में पुरुषों की संख्या कम हो जाए और स्त्रियों की संख्या ज्यादा हो जाए, उस समाज में बड़ा व्यभिचार फैल जाता है। फैल ही जाएगा। क्योंकि इतनी स्त्रियां कामातुर होकर भटकने लगेंगी। और पुरुष तो कामातुर हैं ही, अब स्त्रियां इतनी उपलब्ध हो जाएंगी तो उपद्रव होने वाला है।
तो मोहम्मद ने नियम बनाया कि हर मुसलमान कम से कम चार विवाह करे। अब यह किसी दूसरे को, जिस देश में कभी स्त्री-पुरुषों की संख्या में इतना बड़ा अंतर नहीं पड़ा, यह बात बेहूदी लगेगी। लेकिन उस ऐतिहासिक क्षण में यह बात बड़ी सार्थक थी। इन चार विवाह ने मुसलमान देशों की नैतिकता बचा ली, नहीं तो ये डूब जाते। ये नष्ट हो जाते। खुद मोहम्मद ने नौ विवाह किए। ठीक ही है, अगर शिष्यों से चार विवाह करवाने हों, तो गुरु को नौ करने पड़ें। यह बात बिलकुल तर्कयुक्त है, यह सीधी गणित की है। मोहम्मद दो कदम आगे गए, तब तो कहीं तुम चलोगे थोड़ा-बहुत, नहीं तो तुम चलोगे ही नहीं।
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