________________
जगत का अपरतम संबंध : गुरु-शिष्य के बीच
मंडराते दर्द कई सपनों का रंग अभी वैसा ही है, थोड़े से हिस्से को रंगने से क्या होगा, एक शहर रंग जाए ऐसा रंग डालो। पानी से धुल जाएं ऐसे भी रंग क्या, एक उमर रंग जाए ऐसा रंग डालो। रंगों के अंदर भी रंग हुआ करते हैं रंगों के भीतर जाकर के देखो, बिंबों के अंदर भी सांस हुआ करते हैं दर्पण के भीतर जाकर के देखो, वासंती देहों को रंगना है कायरता, पतझर भी रंग जाए ऐसा रंग डालो। पानी से धुल जाएं ऐसे भी रंग क्या, एक उमर रंग जाए
ऐसा रंग डालो। - संत का अर्थ है, सत्य को उंडेल दे तुममें। संत का अर्थ है, जो उसे हुआ है उसमें रंग दे तुम्हें। संत का अर्थ है, रंगरेज। संत का अर्थ है, तुम्हें एक डुबकी लगवा दे उसमें, जो अभी तुम्हारे सामर्थ्य के बाहर है। संत का अर्थ है, जो उसने देखा है, अपनी आंखों के पीछे तुम्हें खड़ा करके थोड़ा अपनी आंखें उधार दे दे, कहे कि जरा मेरी आंखों से देख लो। जो मुझे दिखता है, वह देख लो। संत का अर्थ है कि थोड़ी देर को अपना हृदय तुम्हें दे दे। और अगर तुम राजी हो तो यह घट जाता है, इसमें देर नहीं लगती। यहां घट रहा है। तुम अगर राजी हो तो कभी भी, किसी भी क्षण, जहां राजीपन पूरा होता है, अचानक तुम्हारे हृदय की जगह मेरा हृदय धड़केगा, तुम मेरी आंख से देखने लगोगे। और तब सब चीजें और ही हो जाती हैं। तब सब कुछ और ही ढंग से दिखायी पड़ने लगता है।
103