SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 101
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ एस धम्मो सनंतनो लगा, लयबद्ध हो गया जो उस अनख्यात से, जो उस अनिर्वचनीय के साथ संगीत में बंध गया, छंदोबद्ध हो गया। छंदजातो अनक्खातो मनसा च फुटो सिया। ' और जिसके मन में उस रस की वर्षा हो गयी, उस रस ने जिसके मन को डुबा दिया, जो स्नान कर लिया उसमें, ऐसा व्यक्ति स्वभावतः कामभोगों से मुक्त हो जाता है। क्योंकि परमभोग जब हो जाए तो क्षुद्र भोगों की कौन कामना करता है। जिसे परमात्मा का भोग मिल गया, वह फिर क्या चाहेगा और किसी भोग को! फिर सब भोग फीके पड़ गए। छोड़ने नहीं पड़ते हैं, छूट जाते हैं। व्यर्थ होने के कारण छूट जाते हैं। जिसको सार हाथ में आ गया, फिर वह असार को नहीं पकड़ता। ऐसा व्यक्ति बुद्ध कहते हैं, ऊर्ध्वस्रोता कहा जाता है। कामेसु च अप्पटिवद्धचित्तो...। जो सदा से बंधा था चित्त कामवासनाओं में, वे सारे बंधन गिर गए। जंजीरें टूट गयीं, बेड़ियां टूट गयीं। वह चित्त मुक्त हो गया, वह चित्त मुक्त होकर ऊपर उठने लगा। कामेसु च अप्पटिवद्धचित्तो उद्धसोतो ति बुच्चति।। ऐसे चैतन्य को ऊर्ध्वगामी, ऊर्ध्वस्रोता कहा जाता है। हम सब जब तक कामना से बंधे हैं, अधोगामी, नीचे की तरफ जाने वाले। देखा तुमने, पानी नीचे की तरफ जाता है, वह है अधोगामी। जहां खड्डा हो उसी की तलाश करता है। ऊंचाई से हटता है, ऊंचाई में उसे रस नहीं। पहाड़ पर गिरेगा तो पहाड़ पर नहीं रुकेगा, भागेगा एकदम नीचे की तरफ। नदी-झरने बन जाएगा और भागेगा, खाई-खड्डु खोजेगा। छोटे-मोटे खाई-खड्डों से भी उसका मन नहीं भरता, भागता ही रहेगा जब तक कि समुद्र का खड्डा न मिल जाए-बड़ा खड्डा न मिल जाए। बड़े से बड़े खड्डु में जाकर रुकेगा। ____ लेकिन यही पानी जब सूर्य के उत्ताप से तपता है, वाष्प बनता है, भाप बनता है, ऊपर की तरफ उठने लगता है, आकाश की तरफ, बादलों की तरफ, ऊर्ध्वगामी हो जाता है। वही पानी भाप बनकर ऊर्ध्वगामी हो जाता है। पानी वही है। पानी बनकर अधोगामी हो जाता है। तो चैतन्य की दो दशाएं हैं। जिसको हम चित्त कहते हैं, वह पानी है। और 88.
SR No.002385
Book TitleDhammapada 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages378
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy